बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन (INDIA بلاक) के अंदर सीटों के बंटवारे को लेकर नई चुनौतियाँ उभरने लगी हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने उपयुक्त इलाकों में 12 सीटों पर चुनाव लड़ने की अपनी दावेदारी पेश कर दी है। इस कदम ने गठबंधन के भीतर चिंता और तनाव दोनों को बढ़ा दिया है।
JMM की दावेदारी और उसकी रणनीति
JMM ने विशेष रूप से उन विधानसभा क्षेत्रों में दावेदारी जताई है जो झारखंड की सीमा से सटे हैं और जहाँ आदिवासी आबादी अधिक है। पार्टी नेताओं ने कहा है कि ये सीटें उनके राजनीतिक और सामाजिक आधार के अनुरूप हैं।
JMM महासचिव विनोद कुमार पांडेय ने कहा कि सहयोगी दलों के साथ बातचीत बाद में होगी और अंतिम फैसला मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में लिया जाएगा।
अन्य सहयोगी दलों की मांगें
सीपीआई (माले) ने गठबंधन में आरजेडी द्वारा प्रस्तावित 19 सीटों के बंटवारे को स्वीकार नहीं किया है। वह 30 सीटों की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं।
विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के अध्यक्ष मुकेश सहनी ने भी कम-से-कम 30 सीटों की मांग रखी है। उनकी यह मांग तेजस्वी यादव के लिए एक अन्य दुविधा बन सकती है।
तेजस्वी यादव और RJD की स्थिति
RJD के पक्ष में यह चुनौती है कि दूसरी पार्टियों की मांगों को कैसे संतुलित किया जाए ताकि गठबंधन टूटे न। कहा जा रहा है कि RJD 5 सीटों तक JMM को दे सकती है, लेकिन यह प्रस्ताव अभी तय नहीं हुआ है।
संभावित परिणाम और राजनीति पर असर
– यदि JMM की मांग स्वीकार हो जाती है, तो वह बिहार में भी रणनीतिक भूमिका निभा सकती है और आदिवासी मतदान को प्रभावित कर सकती है।
– लेकिन अगर अन्य सहयोगी दल अपनी मांगें नहीं छोड़ते, तो गठबंधन के अंदर आरोप-प्रत्यारोप और बैठकों की जटिलता बढ़ सकती है।
– अंतिम बंटवारा, उम्मीदवारों का चयन और सीटों की स्वीकृति इस तथ्य पर निर्भर करेगी कि गठबंधन दलों के बीच सामंजस्य कैसे बनता है।


