झारखंड के चाईबासा सदर अस्पताल में थैलेसीमिया से पीड़ित पाँच बच्चों को संक्रमित रक्त चढ़ाए जाने की घटना ने राज्य सरकार की विश्वसनीयता पर कटाक्ष किया है। जांच में यह सामने आया कि ब्लड बैंक की टेस्टिंग और स्टोरेज व्यवस्था में गंभीर खामियाँ थीं।
पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने सोशल मीडिया पर तीखे तेवर में कहा कि यह सिर्फ लापरवाही नहीं बल्कि एक अपराध है, और दोषियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज होना चाहिए। उन्होंने प्रत्येक पीड़ित परिवार को 1 करोड़ रुपए मुआवजे की मांग की है और मुफ्त आजीवन इलाज की सुविधा देने की बात कही है।
सरकार ने 26 अक्टूबर को तत्काल कार्रवाई करते हुए सचिवालय द्वारा संबंधित डॉक्टर व टेक्नीशियन को निलंबित किया। साथ ही प्रत्येक पीड़ित परिवार को 2 लाख रुपए मुआवजे व मुफ्त इलाज की घोषणा की गई है। एक छह सदस्यीय जांच पैनल भी गठित किया गया है।
यह मामला स्वास्थ्य-प्रणाली की गंभीर गड़बड़ियों को उजागर करता है, जहाँ गंभीर रूप से बीमार बच्चों को दिए जाने वाले रक्त की गुणवत्ता भी सुनिश्चित नहीं थी। अब यह देखना होगा कि आगे दोषियों पर क्या कार्रवाई होती है और पीड़ितों को न्याय व मरहम-परोस कब तक मिलता है।


