सीएएसए (संयुक्त आभूषण व गहना) के प्रमुख त्योहार Dhanteras के मौके पर, इंडिया के नामी आईटी उद्यमी स्रहॉ वेम्बू ने सोने को लेकर एक अनूठा दृष्टिकोण साझा किया है। वे कहते हैं कि सोना पारंपरिक निवेश की तरह नहीं है — बल्कि यह वित्तीय प्रणाली में गड़बड़ी के समय में एक बचाव कवच (insurance) की तरह काम करता है।
वे क्या कह रहे हैं?
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वे बताते हैं, “मैं सोने को निवेश नहीं मानता। मैं इसे वित्तीय प्रणाली के जोखिमों के खिलाफ बीमा मानता हूँ।”
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उनका कहना है कि जब ऋण स्तर बहुत ऊँचा पहुँच जाए और उस पर भरोसा टूटने लगे, तब सोने जैसी संपत्ति का महत्व बढ़ जाता है क्योंकि वह ‘विश्वास’ के आधार पर काम करती है।
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सोने की चमक और लोकप्रियता के बावजूद, वे चेतावनी देते हैं कि उसे सिर्फ मुनाफे का स्रोत न मानें — इसके पीछे जड़ में अस्थिरता, संकट-भावना और सुरक्षित विकल्प की तलाश का अर्थ छुपा है।
क्यों यह समय-सापेक्ष है?
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इस वर्ष सोने के दाम बढ़े हैं और त्योहार के अवसर पर लोग उत्साह में आकर खरीदारी कर लेते हैं। ऐसे में Vembu की बातें खरीद-दारी करने वालों के लिए सोचने-वाली हैं।
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“सोना सिर्फ आभूषण नहीं, बल्कि आर्थिक भरोसे-का प्रतीक है” — इस विचार ने हमें यह याद दिलाया है कि निवेश की तरह सोचते समय केवल कीमतें नहीं बल्कि वित्तीय चेतना, जोखिम प्रबंधन व उद्देश्य भी अहम होते हैं।
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त्योहार के अवसर पर विज्ञापन-प्रेरित खरीददारी के समय यह सलाह महत्वपूर्ण है कि खरीद के पीछे सिर्फ भाव-उत्साह न हो बल्कि उसमें लंबे समय का दृष्टिकोण हो।


