मुंबई में आयोजित भारत-यूके सीईओ फोरम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक महत्वाकांक्षी पहल की घोषणा की है — अब भारत का परमाणु ऊर्जा क्षेत्र निजी कंपनियों के लिए खुल रहा है।
उन्होंने कहा कि इस कदम से न केवल देश की ऊर्जा सुरक्षा को बल मिलेगा, बल्कि भारत और ब्रिटेन के बीच सहयोग नए आयाम छू सकेगा।
क्या कहा पीएम मोदी ने
-
पीएम मोदी ने कहा, “हमें प्रसन्नता है कि हम परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए खोल रहे हैं।”
-
उन्होंने यह भी कहा कि यह निर्णय भारत-ब्रिटेन संबंधों को नई ऊँचाइयों तक ले जाने का अवसर है।
-
मोदी ने इस दौरान बुनियादी ढांचे के विकास की सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर दिया और बताया कि भारत 2030 तक 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ रहा है।
-
उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में व्यापक सुधार हो रहे हैं — व्यापार की सुगमता बढ़ाई जा रही है और अनुपालन बोझ कम किया जा रहा है।
-
साथ ही, जीएसटी सुधारों की ओर भी उन्होंने ध्यान दिलाया, जिससे मध्यम वर्ग और छोटे उद्योगों को नई ऊँची उड़ान मिलेगी।
पार्श्वभूमि और योजनाएँ
भारत की योजना है कि वर्ष 2047 तक परमाणु ऊर्जा उत्पादन की क्षमता को वर्तमान स्तर से लगभग बारह गुना तक बढ़ाया जाए। इसके लिए सरकार ने पहले ही पहल कर दी है कि निजी कंपनियाँ यूरेनियम खनन, आयात और प्रसंस्करण में भी हिस्सा ले सकें।
हालाँकि, आज भी न्यूक्लियर अपशिष्ट प्रबंधन, प्लूटोनियम प्रक्रियाएँ और सुरक्षा नियंत्रण जैसी गतिविधियाँ राज्य नियंत्रण में ही रहेंगी।
महत्व और चुनौतियाँ
यह कदम एक पारंपरिक सरकारी नियंत्रित ऊर्जा क्षेत्र को व्यवसाय-उन्मुख मॉडल की ओर ले जाने जैसा है। इससे निवेश आकर्षित होंगे, तकनीकी नवाचार को प्रेरणा मिलेगी और ऊर्जा उत्पादन में तेजी आ सकती है।
लेकिन चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं — परमाणु सुरक्षा मानक, पर्यावरणीय जोखिम, नियामक ढाँचे का सुदृढ़ीकरण और सार्वजनिक स्वीकृति जैसी जटिलताओं को पार करना जरूरी होगा।


