घाटशिला विधानसभा उपचुनाव को लेकर जिला एवं राज्य स्तर पर घमासान की तैयारियाँ चल रही हैं और इसमें मुख्य भूमिका निभा रही है झामुमो। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खुद इस चुनावी अभियान की कमान सम्भाली है। पार्टी ने इसे ‘‘मिशन घाटशिला विजय’’ का नाम दिया है।
पार्टी के प्रचार अभियान में मुख्यमंत्री ने सोमवार को मुसाबनी के कुईलीसुता मैदान में चुनाव सभा का आरंभ किया। अगले आठ दिनों तक वे विभिन्न स्थानों पर प्रचार करने वाले हैं। इसके साथ ही विधायक कल्पना सोरेन भी स्टार प्रचारक के रूप में क्षेत्र में उतर चुकी हैं।
भले ही भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री के पुत्र को अपना उम्मीदवार बनाया हो, लेकिन झामुमो ने पूर्व विधायक के निधन के बाद खाली पड़ी सीट पर सहानुभूति तथा आदिवासी-पिछड़े वर्ग के वोट बैंक को पुनर्जीवित करने की रणनीति अपनाई है। क्षेत्र में लगभग 46 % मतदाता आदिवासी हैं और 45 % ओबीसी। यही समीकरण इस चुनाव की दिशा तय कर सकता है।
पार्टी का फोकस ग्रामीण एवं आदिवासी बहुल पंचायतों पर है। मुसाबनी, धालभूमढ़, दामपाड़ा सहित अन्य इलाकों में मुख्यमंत्री एवं कल्पना सोरेन मिलकर रैलियाँ, रोड शो और नुक्कड़ सभाएँ कर रहे हैं। अभियान में महिलाओं व आदिवासी अस्मिता पर विशेष जोर दिया जा रहा है। ‘‘मैयां सम्मान योजना’’ जैसी सरकार की पहलों को प्रचार का हिस्सा बनाया गया है।
विश्लेषकों का अनुमान है कि इस तरह संयुक्त रूप से चलाया गया प्रचार झामुमो के संगठन को मजबूत करने तथा कार्यकर्ताओं के मनोबल को ऊँचा उठाने में सहायता करेगा। आगामी 11 नवंबर को मतदान तय है, और तब तक घाटशिला विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक माहौल गरमाता रहेगा।


