देश के लोकपाल कार्यालय द्वारा सात BMW कारों की खरीद के उद्देश्य से विज्ञापन जारी करने के बाद विवाद खड़ा हो गया है। इस पर पूर्व आईपीएस और पुडुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी ने भी तीख़ा हमला बोला है।
बेदी ने कहा है कि लोकपाल का कुल बजट लगभग रु 44.32 करोड़ है, और कारों के मद में लगभग 5 करोड़ रुपये खर्च होने वाले हैं, जो कि कुल बजट का करीब 10 प्रतिशत हो सकता है। उन्होंने इस फैसले को “स्वदेशी मिशन” के खिलाफ भी बताया है।
इसके पूर्व ही भ्रष्टाचार विरोधी कार्यों में सक्रिय अधिकारी अशोक खेमका भी इस मामले को लेकर लोकपाल पर सवाल उठा चुके हैं। विवादित विज्ञापन 16 अक्टूबर को जारी किया गया था।
किरण बेदी ने कहा कि अगर देश का प्रवचन स्वदेशी उत्पादों को लेकर है, तो ऐसे समय में विदेशी ब्रांड की कारें क्यों खरीदी जा रही हैं। उन्होंने लोकपाल को सुझाव दिया है कि वे स्वदेशी इलेक्ट्रिक या घरेलू वाहन विकल्पों पर विचार करें।
वहीं, इस खरीद को लेकर संस्थागत उद्देश्य, बजट प्रबंधन तथा सार्वजनिक विश्वास पर सवाल उठने लगे हैं। लोकपाल की मूल भूमिका भ्रष्टाचार-निरोधी एवं निगरानी-अधिकारियों की स्वतंत्र संस्था की रही है, अब वाहन-खरीद के इस मुद्दे ने उनको टिप्पणी की भेंट बना दिया है।
आगे बढ़ते हुए, इस मामले में संभवतः विभागीय समीक्षा या संसद-स्तरीय चर्चा की संभावना बनी रह सकती है, जिससे यह वाहन-खरीद विवाद एक बड़े सार्वजनिक विमर्श का विषय बन गया है।


