एलईडी वैन के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में महिला एशियन चैंपियंस ट्रॉफी का किया जा रहा है लाइव प्रर्दशन

बिरसा भूमि लाइव

  • लाइव प्रर्दशनको देखने हेतु लोगों की उमड़ पड़ती है भीड़
  • भारतीय राष्ट्रीय टीम की सदस्य निक्की प्रधान का पैतृक ग्राम है हेसेल
  • कचहरी मैदान, खूंटी में लगाए गए LED स्क्रीन्स पर भी खेल प्रेमी उपस्थित होकर Women’s Asian Champions Trophy 2023 के महासंग्राम का आनंद ले रहे हैं।

रांची : जिला सूचना एवं जनसंपर्क कार्यालय, खूंटी द्वारा एलईडी वैन के माध्यम से भारतीय राष्ट्रीय टीम की सदस्य निक्की प्रधान के पैतृक गांव हेसेल सहित अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में रांची में खेले जा रहे झाखंड महिला एशियन चैंपियंस ट्रॉफी 2023 का लाइव प्रदर्शन किया जा रहा है। इस दौरान झारखण्ड महिला एशियन चैंपियंस ट्रॉफी 2023 का लाइव प्रर्दशन देखने हेतु लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है। लोगों खासकर हॉकी खेल के महिला एवं पुरुष प्रेमियों में काफी उत्साह देखा जा रहा है। लोगों द्वारा उक्त लाइव प्रर्दशन को काफी सराहा जा रहा है। ग्रामीण बताते हैं कि गांव में ही लाइव मैच देखने का अवसर मिल रहा है, इससे सभी उत्साहित हैं।

खूंटी जिले के मुरहू प्रखंड अवस्थित हेसेल ग्राम में 08 दिसंबर 1993 को भारतीय राष्ट्रीय टीम की सदस्य निक्की प्रधान का जन्म हुआ था। वह झाखंड की पहली महिला हॉकी खिलाड़ी हैं, जिन्होंने ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। उनके पिता सोमा प्रधान अविभाजित बिहार में पुलिस में कांस्टेबल थे। उनकी माता गृहणी हैं। भारतीय राष्ट्रीय टीम की सदस्य निक्की प्रधान ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पेलोल स्थित मध्य विद्यालय प्राप्त की थी। इसी दौरान उन्होंने हॉकी कोच श्री दशरथ महतो के निर्देश में हॉकी का प्रशिक्षण प्राप्त किया था।

खूंटी की निक्की प्रधान अन्य खिलाड़ियों के लिए सफल उदाहरण : निक्की प्रधान के पिता बताते हैं कि छोटी सी उम्र में ही गांव के बच्चे हॉकी से परिचित थे। बांस की बनी कच्ची हॉकी स्टिक और बांस के जड़ से बने गेंद गांव के बच्चों को हॉकी का ककहरा सीखने के लिए काफी था। निक्की की पढ़ाई लिखाई पेलौल स्थित सरकारी विद्यालय में हुई। 5 भी बहनों में दूसरे स्थान पर रही निक्की को हॉकी खेलने का परिवार में माहौल भी मिला। बड़ी बहन और छोटी बहनों के साथ निक्की भी हॉकी में अपना हुनर दिखाने लगी। पेलौल के सहायक शिक्षक दशरथ महतो उन दिनों हॉकी के प्रति रुचि रखने वाली छात्राओं को हर दिन सुबह मैदान में हॉकी की बारीकियां सिखाते थे।

उसी वक्त निक्की प्रधान की रनिंग क्षमता से हॉकी कोच दशरथ महतो प्रभावित हुए और निक्की को हॉकी के क्षेत्र में आगे बढ़ाने की पूरी कोशिश की। शुरुवात में निक्की मैदान से भाग जाती थी लेकिन दशरथ महतो की हॉकी की पाठशाला में सभी छात्राओं को खेलने और जीतने का जुनून तथा जज्बा पैदा किया। छोटे-छोटे स्थानीय खस्सी टूर्नामेंट, मुर्गा टूर्नामेंट में दशरथ महतो छात्राओं को टीम बनाकर खेलने के लिए ले जाते थे। धीरे-धीरे जीत का जुनून खेल के क्षेत्र में कैरियर बनाने की ओर बढ़ता गया। विपरीत परिस्थितियों के बावजूद संसाधनों की व्यवस्था कर एक एक खिलाड़ी को गोलपोस्ट पर निशाना साधने की कला सिखायी।

समय के साथ निक्की प्रधान राष्ट्रीय टीम में अपनी जगह बनाने में सफल रही 2011 से लगातार भारतीय महिला हॉकी टीम से खेलती रही हैं। 2012 के एशियाड में भी निक्की प्रधान को खेलने का मौका मिला और भारतीय टीम चैंपियन बनी। एशियाड में चैंपियन बनने के बाद हॉकी ओलंपिक में भी खेलने का सपना 2016 में झारखण्ड की पहली महिला के रूप में पूरा हुआ और टोक्यो ओलंपिक में दूसरी बार पुनः खूंटी की बेटी ने बेहतर खेल प्रतिभा के बल पर राष्ट्रीय टीम का हिस्सा बनी।

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