ऑप्टिक्स स्टार्टअप Lenskart की आगामी IPO योजना ने कंपनी के सह-संस्थापक और CEO Peyush Bansal की वित्तीय ओर सत्ता की स्थिति को नया रूप दे दिया है। एक समय में एक कमरे से शुरुआत करने वाली यह कंपनी अब अरबों डॉलर के मूल्यांकन की ओर अग्रसर है।
IPO का प्रस्ताव और वित्तीय विश्लेषण
Lenskart ने हाल ही में अपने शेयरधारकों से ₹2,150 करोड़ की नई इक्विटी जारी करने की मंजूरी प्राप्त की है, जो IPO के हिस्से के रूप में प्रस्तावित है।
IPO का कुल आकार लगभग $1 बिलियन (लगभग ₹8,500 करोड़) करने की संभावना जताई जा रही है।
Bansal की हिस्सेदारी बढ़ाने की चाल
IPO से पहले, Bansal ने प्रस्तावित रूप से ₹200 करोड़ का ऋण लेने की योजना बनाई है, ताकि वे कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सकें।
वे निवेशकों से शेयर खरीदने की कोशिश कर रहे हैं, और इस तरह उनकी हिस्सेदारी लगभग 4% से बढ़कर 6% तक पहुँच सकती है।
यह कदम उन्हें “promoter tag” (प्रमोटर की पहचान) दिलाने की दिशा में भी एक रणनीति माना जा रहा है।
मूल्यांकन पर दबाव और पूर्व की कतार
अनुसंधान एवं मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, Bansal उन निवेशकों से भागीदारी खरीद रहे हैं जो SoftBank, Chiratae, Kedaara Capital जैसे नाम हैं।
हालाँकि, वे शेयर खरीदने की कीमत पर विचार कर रहे हैं कि वह $1 बिलियन मूल्यांकन के स्तर पर हो — जो IPO लक्ष्य से काफी कम है।
यदि ये सौदे सफल होते हैं, तो यह Lenskart को एक सार्वजनिक कंपनी में बदलने की दिशा में एक मजबूत कदम होगा।
रणनीतिक और आर्थिक मायने
-
इस IPO से Lenskart को पूंजी मिलेगी, जिससे वह अपनी रिटेल और प्रौद्योगिकी ढाँचे का विस्तार कर सकती है।
-
Bansal का प्रमोटर टैग पाना उन्हें कंपनी के दिशा-निर्णय और नियंत्रण में अधिक अधिकार दिला सकता है।
-
निवेशकों को यह देखना होगा कि IPO के बाद कंपनी की वृद्धि दर, लाभप्रदता और बाजार संचालन कैसे होंगे।


