पाकिस्तान के सामने अब एक या दो मोर्चों की नहीं बल्कि चार मोर्चों की जंग का भय उत्पन्न हो गया है। विश्लेषकों का कहना है कि करीब ८ हजार किलोमीटर लंबी सीमाओं के कारण यह देश विभिन्न दिशाओं में सुरक्षा दबाव का सामना कर रहा है।
सबसे लंबी सीमा पाकिस्तान की भारत के साथ है, करीब ३,३२३ किमी। इसके अतिरिक्त अफगानिस्तान के साथ लगभग २,४३० किमी की सीमा है, वहीं ईरान के साथ करीब ९५९ किमी सीमा है। इसके अलावा समुद्री सीमा और अन्य सीमाएँ मिलाकर यह “सक्रिय मोर्चे” ५,७५३ किमी तक पहुँच सकते हैं — अगर भारत-पूर्व मोर्चा और पश्चिमी मोर्चा दोनों एक साथ सक्रिय हों।
पाकिस्तान की चुनौती यह है कि उसने पारंपरिक रूप से भारत-मध्य मोर्चे (पूर्वी सीमा) पर अधिक ध्यान केंद्रित किया है, जबकि पश्चिमी सीमाओं (अफगानिस्तान और ईरान के साथ) पर संसाधनों व तैनाती की कमी रही है। अफगानिस्तान में हालात के बदलने, सीमा पार विद्रोहात्मक गतिविधियों व ईरान-संपर्क में बढ़ती अस्थिरता ने इस परिस्थिति को और जटिल बना दिया है।
अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाला दबाव, सीमा-सुरक्षा के लिए आवश्यक संसाधनों का अभाव तथा अलग-अलग मोर्चों पर लड़ने की संभावना — ये सभी पाकिस्तान के लिए रणनीतिक रूप से जोखिम भरे संकेत हैं। इस तरह की परिस्थिति में किसी एक मोर्चे पर फोकस करना आसान होता है, लेकिन चार-दिशाओं में तनाव को सम्हालना पाकिस्तान की क्रियाशील क्षमता के लिए चुनौतीपूर्ण दिख रहा है।


