Bhim Sen Tuti, जो कि Jammu & Kashmir Police में आईजीपी (जम्मू जोन) हैं, ने बताया है कि पिछले दो वर्षों से जम्मू क्षेत्र के जंगलों में छिपे विदेशी आतंकियों की मौजूदगी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। इसके चलते मंगलवार को उन्होंने कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए सुरक्षा तंत्र को और सशक्त किया जा रहा है।
उन्होंने यह भी बताया कि जम्मू जोन में प्रतिदिन लगभग 100 से अधिक आतंकवाद-रोधी संचालन हो रहे हैं — चाहे वे खुफिया सूचना-आधारित हों या व्यापक जंगलीय क्षेत्र की खोज ऑपरेशन्स।
उनके अनुसार, आतंकियों का छिपना अब मुख्यतः घने जंगलों, दुर्गम इलाकों और गहरी घाटियों में हो रहा है, जहाँ स्थानीय समर्थन कम हुआ है और सूचना-जाल टूटता जा रहा है।
आईजीपी ने बताया कि सुरक्षा-ग्रिड में बढ़ोतरी की जा रही है — इसमें सीमा-सुरक्षा, जंगल में पैदल और चौक-चौराहों से निगरानी बढ़ाना तथा खुफिया नेटवर्क को मजबूत करना शामिल है। इसके साथ ही उन्होंने आत्म-बलिदानी घटनाओं को नियंत्रित करने व आतंकियों के समर्थन तंत्र को खत्म करने पर भी जोर दिया है।
यह बयान उस पृष्ठभूमि में आया है जब Kathua, Rajouri, Poonch जैसे जिलों में जंगल एवं सीमावर्ती इलाकों में आतंकी छिपने व कार्रवाइयों के बढ़ते संकेत मिले हैं।
आईजीपी ने यह विश्वास जताया है कि इन सक्रिय अभियानों के माध्यम से जंगलों में प्रविष्ट आतंकियों को जल्द-से-जल्द निष्क्रिय किया जा सकेगा और जम्मू क्षेत्र में शांति व सामान्य जीवन बहाल होगा।


