भारत के समुद्री प्रभुत्व को लगा एक नया झटका, क्योंकि पाकिस्तान अगले वर्ष से हैंगर‑क्लास पनडुब्बियाँ (Hangor Class) अपने बेड़े में शामिल करना शुरू कर रहा है। ये पनडुब्बियाँ चीन के साथ मिलकर विकसित की जा रही हैं, और इस समझौते के तहत कुल आठ पनडुब्बियाँ अगले कुछ वर्षों में पाकिस्तान को मिलेंगी।
क्या है यह सौदा
– चीन और पाकिस्तान ने करीब 5 अरब डॉलर के समझौते के तहत इसका अनुबंध किया है।
– इन आठ पनडुब्बियों में से पहले चार चीन में बनाई जाएँगी, जबकि बाकी चार पाकिस्तान के कराची शिपयार्ड में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के अंतर्गत तैयार होंगी।
– ये पनडुब्बियाँ उन्नत एयर-इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) तकनीक से लैस होंगी, जिससे पानी के नीचे अधिक समय तक छिपकर संचालन संभव होगा।
भारत के लिए क्या मायने रखता है
इस विकास का सीधा असर भारत की ज़मीनी तथा समुद्री सुरक्षा रणनीति पर पड़ सकता है। विश्लेषकों के मुताबिक, अरब सागर व हिंद महासागर में भारत की लंबी समय से बनी नौसैनिक बढ़त को अब चिन्हित चुनौती मिल सकती है।
जहाँ भारत की नौसेना के पास फ्रेंच-निर्मित स्कॉर्पीन श्रेणी, रूसी किलो-क्लास तथा जर्मन HDW पनडुब्बियाँ हैं, वहीं AIP तकनीक वाली पारंपरिक पनडुब्बियों के संदर्भ में भारत अभी पीछे है।
इसलिए इस कदम से भारत को अपनी रणनीति-संरचना, पनडुब्बी बेड़े को सुदृढ़ करने तथा समुद्री निगरानी-क्षमता को और बेहतर बनाने की जरूरत महसूस हो रही है।
आगे-क्या संभावना है
– अगले एक-दो सालों में पहली हैंगर-क्लास सशस्त्र पनडुब्बी पाकिस्तान द्वारा सेवा में शामिल हो सकती है।
– भारत-पाकिस्तान समुद्री रणनीति में अब “एंटी-एक्सेस/एरिया-डेनायल (A2/AD)” की अवधारणा अधिक प्रमुख होती जा रही है, जहाँ न सिर्फ सतह पर बल्कि पानी के अंदर भी तंत्र सक्रिय होंगे।
– भारत को अब न सिर्फ बढ़त बनाए रखने के लिए नए पनडुब्बी प्रोजेक्ट तेजी से लागू करने होंगें, बल्कि समुद्री सूचना-संग्रह, एंटी-पनडुब्बी युद्ध (ASW) क्षमता व सहयोगी राष्ट्रों के साथ साझेदारी पर भी ध्यान देना होगा।


