मुंबई में 13 जुलाई 2011 को हुए जावेरी-बज़ार, ओपेरा हाउस व दादर कबूतरखाना इलाके में तीन जगहों पर बड़े बम धमाके हुए थे जिसमें 27 लोग मारे गए और 120 से अधिक घायल हुए थे।
इस आतंकी हमले के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए 65 वर्षीय Kafeel Ahmed Mohammed Ayub को अब Bombay High Court ने एक लाख रुपये के मुचलके पर जमानत दी है।
अयूब को फरवरी 2012 में गिरफ्तार किया गया था और वे इसके बाद से हिरासत में थे। अभियोजन का आरोप है कि हमले की साजिश में Yasin Bhatkal का नाम मुख्य कर्ताधर्ता के रूप में है।
उनकी वकालत पक्ष का कहना है कि मुकदमा लंबित है और अभियोजन पक्ष के पास उनके खिलाफ ठोस सबूत नहीं हैं सिवाय इकबाली बयान के। अयूब ने यह भी दावा किया है कि उन्होंने जबरन बयान दिया था।
जमानत मिलने के बाद अब यह प्रश्न उठ रहा है कि इस तरह के हाई-प्रोफाइल आतंकवादी मामलों में न्यायिक प्रक्रिया, सुरक्षा एवं निगरानी का संतुलन कैसे रखा जाए। इस फैसले से न्यायपालिका की चुनौतियाँ और लंबित मामलों के सामाजिक प्रभाव दोनों ही सामने आ गए हैं।


