बिहार के आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर बढ़ती राजनीति के बीच भाजपा ने रुझान बदलने के उद्देश्य से जोरदार हमला किया है। भाजपा का आरोप है कि विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (र जद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने वर्ष-वर्ष से विवादों में घिरे नेता रीटलाल यादव के लिए प्रचार किया, जो खुद सजा-प्राप्त हैं।
भाजपा ने यह प्रश्न उठाया है कि क्या ऐसा करना राजनीतिक आचार-संहिता व नैतिक मानकों के अनुरूप है, जब प्रचारकर्ता स्वयं उस व्यक्ति की स्थिति में हो जिसे न्यायिक शिकंजा झेलना पड़ा हो। आरोपों अनुसार, इतवार को लालू यादव ने रीतलाल यादव के समर्थन में रोडशो तथा जनसभाएँ कीं, जबकि रीतलाल यादव जेल में बंद हैं और उन पर वसूली व अपराध जैसे गंभीर आरोप दर्ज हैं।
भाजपा का कहना है कि इस प्रकार का प्रचार “अपनी ही सजा-प्राप्त व्यक्ति के लिए समर्थन” जैसा है, जिससे यह प्रश्न उठता है कि क्या अपराध-पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों को खुला मंच मिलना चाहिए। विपक्ष की ओर से जवाब दिया गया है कि अभियोजन पर दोष सिद्ध नहीं हुआ है और राजनीतिक दलों की मामूली सीमाओं में यह शामिल है कि वे अपने समर्थकों के साथ खड़े हों।
विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला सिर्फ एक प्रचार रणनीति से आगे बढ़कर राजनीतिक नैतिकता, कानून-व्यवस्था की बात और सामाजिक स्वीकार्यता की दिशा में संकेत देता है। चुनावी माहौल में ऐसे मुद्दे मतदाताओं के मन को प्रभावित कर सकते हैं एवं दलों की छवि पर असर कर सकते हैं।


