भारतीय थल सेना प्रमुख उपेन्द्र द्विवेदी ने बताया है कि “ऑपरेशन सिंदूर” के दौरान भारत ने उन सिद्धांतों और तकनीकी क्षमताओं का संयोजन अपनाया, जिनसे यह स्पष्ट संदेश गया कि भारत अपने पड़ोसी देश के मुकाबले भिन्न व्यवहार और मूल्यों पर खड़ा है।
उन्होंने कहा कि ऑपरेशन में आतंकवादी नेटवर्क और उनके सरगनों को निशाना बनाया गया, जबकि नागरिकों या रक्षा-स्थलों को नहीं छुआ गया।
द्विवेदी ने विशेष रूप से यह उल्लेख किया कि ऑपरेशन के दौरान नमाज या प्रार्थना के समय किसी कार्रवाई को नहीं अंजाम दिया गया।
उन्होंने कहा कि यह लड़ाई केवल सशस्त्र तबकों की नहीं थी, बल्कि “एक राष्ट्र-निर्माण की दिशा में” पूरे देश की एकता का प्रतीक थी, जिससे यह संदेश गया कि भारत तय समय-सीमा में “विकसित भारत” की ओर अग्रसर है।
इस प्रकार, ऑपरेशन सिंदूर ने यह दोहरा संदेश भेजा — एक तो आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई का, और दूसरा यह कि कार्रवाई करते समय मानवीय और कानूनी सीमाओं का ध्यान रखा गया।


