पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य के उत्तरी इलाकों में आए बाढ़ और भूस्खलन को मानवजनित आपदा करार दिया है। उनका आरोप है कि डैमोडर वैली कॉरपोरेशन (DVC) ने बिना समन्वय के पानी छोड़ने की कार्रवाई की, जिससे बाढ़ की समस्या और विकराल रूप धारण कर गई।
ममता बनर्जी ने बताया कि मैथन और पंचेत बांधों की सेडिमेंट क्लियरिंग (गाद हटाने) नहीं होने के कारण पानी का आवागमन बाधित हुआ। उनका यह आरोप है कि DVC ने अपनी मर्जी से जलस्तर नियंत्रण के बजाय झारखंड को बाढ़ से बचाने के लिए पानी छोड़ा, और परिणामस्वरूप बंगाल को भारी नुकसान उठाना पड़ा।
उन्होंने यह भी कहा कि इस आपदा में अब तक लगभग 23 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा उन्होंने मृतकों के परिजनों को 5 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है और प्रत्येक मृतक के परिजन को होम गार्ड की नौकरी देने की पेशकश की है।
ममता बनर्जी ने यह आरोप भी लगाया कि केन्द्र सरकार इस आपदा राहत के लिए पर्याप्त फंड प्रदान नहीं कर रही है और राज्य सरकार अपनी सीमाओं में संघर्ष कर रही है। उन्होंने कहा कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में फंसे पर्यटकों को वापस लाने के लिए 45 बसों की व्यवस्था की गई है।
उन्होंने उल्लेख किया कि उत्तर बंगाल के दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी, कालिम्पोंग, अलीपुरद्वार सहित कई जिले भारी बारिश और भूस्खलन से बुरी तरह प्रभावित हैं। उन्होंने प्रशासन को निर्देश दिया है कि बचाव एवं राहत कार्यों की तीव्रता बढ़ाई जाए और प्रभावित इलाकों तक तुरंत मदद पहुंचाई जाए।
ममता का यह बयान राजनीति की पृष्ठभूमि में भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इसके जरिये केंद्र-राज्य विवाद और संसाधन नियंत्रण की जटिलता सामने आई है।


