आज झारखंड की राजधानी रांची में “आदिवासी हुंकार महारैली” का आयोजन किया जाएगा, जिसमें राज्य की 33 जनजातियाँ हिस्सा लेंगी। इस रैली के कारण मुख्य मार्गों पर भारी ट्रैफिक जाम की संभावना बनी हुई है।
यह रैली पृभात तारा मैदान, धुर्वा में होने वाली है और इसका आयोजन “आदिवासी बचाओ मोर्चा” की ओर से किया गया है। रैली का मुख्य उद्देश्य कुड़मी समुदाय को अनुसूचित जाति (एसटी) दर्जा देने की मांग के विरोध को प्रदर्शित करना है। उपरोक्त मांग को लेकर गुरुवार को करमटोली स्थित धुमकुड़िया में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी हुई, जहाँ न्याय एवं पहचान के मुद्दों पर जोर दिया गया।
पूर्व मंत्री देवकुमार धान ने कहा कि यह महारैली आदिवासी समाज की एकता और आवाज़ का प्रतीक बनेगी। रैली में संताल, हो, मुंडा, भूमिज, खड़िया, बेदिया, लोहरा, कोरबा, बिरहोर, चेरो, भोक्ता, खरवार सहित कई अन्य जनजातियाँ पारंपरिक वेशभूषा, हथियारों एवं झंडों के साथ भाग लेंगी।
लक्ष्य-नारायण मुंडा ने रैली में शामिल होने वाले अन्य समुदायों की सूची दी और कहा कि यह आंदोलन राज्यव्यापी आदिवासी संगठनों के आह्वान पर हो रहा है। इस रैली में कुड़मी समुदाय की एसटी दर्जा की मांग को “ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ना” कर बताया गया है, जो आदिवासी पहचान को कमजोर करती है, ऐसा भी कहा गया।
ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल झारखंड के सदस्य नारायण उरांव ने चेताया कि यदि कुड़मी समुदाय को एसटी दर्जा दिया गया, तो आदिवासियों को मिले 26% आरक्षण, शिक्षा एवं नौकरी में उनका हित खतरे में पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे किसी प्रस्ताव का राज्यव्यापी विरोध हो रहा है, और यह महारैली उसी विरोध का झलक होगी।
रैली पूरी तरह शांतिपूर्ण रहने का दावा किया गया है, लेकिन मुख्य सड़कों पर आने-जाने वालों को आज यातायात व्यवधान की तैयारी रखनी चाहिए।


