भारत की सबसे बड़ी चैरिटी-संस्था समूहों में से एक, Tata Trusts, में पुनर्नियुक्ति प्रक्रिया और नेतृत्व-संरचना को लेकर चुपचाप जारी असहमति अब सार्वजनिक रूप से उभर चुकी है। इस संस्था में प्रमुख ट्रस्टी Mehli Mistry ने हाल में ट्रस्टी और उपाध्यक्ष पद पर पुनर्नियुक्त हो रहे Venu Srinivasan को शर्त सहित अपनी सुविधा से समर्थन देने का ई-मेल भेजा है।
मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:
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Venu Srinivasan की पुनर्नियुक्ति ट्रस्टी के तौर पर ‘आज और आगे के लिए’ घोषित की गई है, यानी उन्हें आजीवन ट्रस्टी का दर्जा मिलना तय हो गया है।
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जरूरत पड़ने पर Mehli Mistry की भी पुनर्नियुक्ति इसी सप्ताह हो सकती है, किन्तु उसमें सहमति-प्रक्रिया और विवरण अब तक स्पष्ट नहीं हैं।
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Mistry ने इस मामले में एक दुर्लभ शर्त रखी है — उन्होंने Venu Srinivasan के समर्थन के बदले में कुछ प्रतिफल की मांग की है, जिससे स्पष्ट हो रहा है कि ट्रस्टीगणों के बीच आपसी ताल-मेल कमजोर पड़ रहा है।
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17 अक्टूबर 2024 को पास हुई एक प्रस्तावना के अनुसार, ट्रस्टी का कार्यकाल समाप्त होने पर पुनर्नियुक्ति स्वतः दी जानी है, और कार्यकाल-समाप्ति के बाद उसे जीवन-पर्यन्त बनाया जा सकता है।
प्रभाव और चुनौतियाँ:
इस तरह की आंतरिक मतभेदों का कारण केवल पद-परिवर्तन नहीं, बल्कि नेतृत्व, मतदान-प्रक्रिया, हिस्सा-दारी तथा विश्वास-तंत्र आधारित हैं। इस संगठन का प्रभाव सीधे Tata Sons पर भी पड़ता है क्योंकि Trusts ही उसकी बड़ी हिस्सेदारी रखता है।
इस समय सामने यह चुनौती है कि कैसे सहमति बनाई जाए और कैसे आगे का नेतृत्व भरोसेमंद रूप से आगे बढ़े। यदि ट्रस्टीगण में खींच-तान जारी रही, तो इससे निर्णय-प्रक्रिया, वित्त-निर्माण तथा समूह की रणनीति प्रभावित हो सकती है।


