नया अध्ययन बताता है कि एक साधारण रक्त परीक्षण के जरिए जिगर (लिवर) में होने वाली हानि को वर्षों पहले ही पहचान सकते हैं, जबकि अभी तक किसी स्पष्ट लक्षण की शुरुआत नहीं हुई हो। यह परीक्षण सिर्फ स्वास्थ्य परखी (screening) से संबंधित नहीं, बल्कि समय रहते हस्तक्षेप की दिशा भी खोल सकता है।
स्वीडन के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित इस परीक्षण में तीन रक्त मापदंडों का उपयोग किया गया है, जिससे यह संभावित गंभीर जिगर रोगों — जैसे सिरोसिस और लिवर कैंसर — का जोखिम लगभग दस वर्षों पहले पहचानने की क्षमता रखता है।
परीक्षण कैसे काम करता है
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इस परीक्षण का मॉडल Karolinska Institutet द्वारा तैयार किया गया है, और इसे The BMJ में प्रकाशित किया गया।
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इसमें तीन बायोमर्कर के स्तर मापे जाते हैं, जिनमें सामान्य जिगर कार्य को प्रभावित करने वाले प्रारंभिक संकेत मिल सकते हैं।
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यह विधि पारंपरिक FIB-4 या अन्य अनुमान आधारित परीक्षणों से अलग है क्योंकि इसे व्यापक आबादी में प्रयोग के लिहाज से अनुकूल बनाया गया है।
इससे पहले दिखाई देते हैं लक्षण?
जिगर रोग अक्सर चुपचाप बढ़ता है। जब लक्षण दिखाई देते हैं, तब तक क्षति पहले ही काफी हो चुकी होती है। लेकिन कुछ चेतावनियाँ समय पर समझने योग्य होती हैं:
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थकान, भूख की कमी, पेट का दर्द
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त्वचा या आंखों का पीलापन
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वजन कम होना, सूजन या पेट में बढ़ती परेशानी
महत्व और आगे की राह
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इस तरह के परीक्षण से पूर्व चेतावनी मिल सकती है, जिससे जीवनशैली बदलाव, इलाज, या नियमित निगरानी जल्दी शुरू हो सकती है।
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परीक्षण की सटीकता को 88% तक आंकित किया गया है, जो इस क्षेत्र में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।
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हालांकि अभी यह परीक्षण सामान्य स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुँचने में सीमित है — इसे व्यापक स्वीकार्यता मिलने की संभावना आगे की अध्ययन और परीक्षणों पर निर्भर है।


