भारत के कॉर्पोरेट एवं इनसॉल्वेंसी कानून क्षेत्र में एक अहम निर्णय सामने आया है। नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने आज रिलायंस रियल्टी (Reliance Realty) की अपील खारिज कर दी है।
इस मामले की पृष्ठभूमि इस प्रकार है — रिलायंस रियल्टी ने वर्ष 2017 में अपनी कुछ परिसंपत्तियों को लीज पर दिया था और बाद में उस फर्म द्वारा किराया-बिजली व रख-रखाव शुल्क का भुगतान रुक गया। उस फर्म पर इनसॉल्वेंसी प्रक्रिया (CIRP) लागू हुई और अंततः मार्च 2023 में उसके लिक्विडेशन (विलय) का आदेश हुआ।
NCLAT ने यह तय किया है कि लिक्विडेशन प्रक्रिया «संभवतः सबसे कम समय-सीमा में» पूरी होनी चाहिए और इसे किसी भी तरह बाधित नहीं किया जा सकता।
ट्रिब्यूनल ने विशेष रूप से यह भी कहा कि रिलायंस रियल्टी ने CIRP के दौरान परिसंपत्तियों के स्वामित्व को लेकर समय रहते कोई ठोस आपत्ति नहीं उठाई थी और इसलिए अब उसे इस प्रक्रिया में रोड़ा नहीं बनना चाहिए।
इस निर्णय का मतलब यह है कि इनसॉल्वेंसी एवं बैंकक्रप्सी कोड के अंतर्गत विलय-प्रक्रिया को सुगम बनाने की दिशा में न्यायालय सक्रिय भूमिका निभा रहा है, और कंपनियों के बीच विवादों के बीच संपत्ति निष्कासन एवं बोली प्रक्रिया में बाधाएँ कम किए जाने का संकेत मिल रहा है।


