केरल की उच्च न्यायालय ने सबरीमाला मंदिर के स्वर्ण मुखरूपी गतिविधियों को गम्भीरता से लेते हुए राज्य पुलिस को आदेश दिया है कि वह स्वर्ण के कथित गबन (misappropriation) के मामले में तुरंत आपराधिक मामला दर्ज करे। न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया है कि इस मामले की जांच विशेष अन्वेषण टीम (SIT) द्वारा की जाए।
न्यायालय के मुख्य निष्कर्ष और आदेश
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कोर्ट ने पाया है कि मंदिर की side frames या lintels (मंदिर की पार्श्व काष्ठ संरचनाएँ) में स्वर्ण के गबन की आशंका है।
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विवेचना रिपोर्टों में यह खुलासा हुआ है कि लगभग 474.9 ग्राम स्वर्ण “Unnikrishnan Potti” नामक प्रायोजक को सौंपा गया था, लेकिन रिकॉर्ड में यह नहीं सामने आता कि इसे मंदिर प्रशासन (TDB) को वापस सौंपा गया हो।
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न्यायालय ने SIT को निर्देश दिया है कि वह केवल स्वर्ण-गबन की जांच न करे, बल्कि सभी संबंधित पहलुओं जैसे रिकॉर्ड, जानकारी की पारदर्शिता और ज़िम्मेदार व्यक्तियों की भूमिका को भी छानबीन करे।
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कोर्ट ने यह भी कहा है कि पुलिस महानिदेशक (DGP) को इस मामले में पक्षकार बनाया जाए और जांच की प्रगति हर दो सप्ताह में सीलबंद आवरण (sealed cover) में प्रस्तुत की जाए।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ और विवाद
मामले के सार्वजनिक होने पर राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। केरल के मुख्यमंत्री पिनारयी विजयन ने इसे एक राजनीतिक मंशा से प्रेरित साजिश करार दिया है और कहा है कि जिन लोगों का इसमें हाथ है, उन्हें न्याय के कटघरे में लाया जाएगा।
वहीं, मंदिर प्रशासन (TDB) पर भी फैसले की पारदर्शिता और रिकॉर्ड प्रबंधन में लापरवाही का आरोप लगा है। उच्च न्यायालय ने TDB को रजिस्टरों, स्वर्ण संबंधित दस्तावेजों और रिकॉर्ड को जप्त करने का भी निर्देश दिया है।
संभावित आगे की कार्रवाई
– SIT को छह सप्ताह में अपनी रिपोर्ट अदालत में जमा करने का निर्देश दिया गया है।
– यदि जांच में दोष पाये गए लोगों की भूमिका सिद्ध होती है, तो उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमे चल सकते हैं।
– मंदिर स्वर्ण और कीमती वस्तुओं के रख-रखाव, प्रबंधन और नियंत्रण की प्रक्रिया में सुधार लाने की आवश्यकता उठ रही है।


