बिहार में चुनावी माहौल अब हवाई अभियान भी प्रभावित हुआ है। राज्य में शुरू हुए प्रचार-प्रसार के दौरान लगभग 14 हेलीकॉप्टर उड़ान नहीं भर पाईं, जिससे कई बड़े रैलियों और कार्यक्रमों को रद्द या स्थगित करना पड़ा।
पहला कारण मौसम और बेहतर लैंडिंग सुविधाओं की कमी बताई जा रही है, जिससे अभियान समिति को उम्मीद से नीचे उड़ानें करनी पड़ीं। इस प्रकार, प्रचार की गति धीमी पड़ गई है और नेताओं को ज़मीन स्तर पर ही अधिक निर्भर होना पड़ रहा है।
दूसरी ओर, इस स्थिति ने चुनावी रणनीति में बदलाव का संकेत दे दिया है। जहां पहले बड़े नेताओं की कई बैठकों और रैलियों के लिए हेलीकॉप्टर का उपयोग किया जा रहा था, अब आयोजन-समय एवं स्थल चयन में अधिक लचीलापन दिखने लगा है।
विश्लेषकों के अनुसार, यह बंदिशें प्रतियोगिताओं को प्रभावित कर सकती हैं — खासकर उन उम्मीदवारों या पार्टियों को, जिनकी रणनीति ‘हवाई प्रचार’ पर आधारित थी। अब ज़मीनी समागम, जनसंपर्क एवं स्थानीय यात्राओं की महत्ता बढ़ गई है।
यह बदलाव इस चुनाव को सिर्फ स्थल-आधारित नहीं बल्कि समय-और-लॉजिस्टिक्स-संवेदनशील बना गया है। Election Commission of India तथा संबंधित विभाग हेलीकॉप्टर उपयोग और रैली आयोजन की अनुमति-व्यवस्था में फिर से समीक्षा कर रहे हैं।


