पटना — बिहार विधानसभा चुनावों की तैयारियों के बीच यह सवाल गरमाया है कि लोजपा-आर (राम विलास) की ओर से कौन सा सांसद विधानसभा की लड़ाई में उतरेगा। पार्टी में लंबे समय से इस पर चर्चा है, और इस कड़ी में अरुण भारती और चिराग पासवान का नाम बार-बार सुनने को मिल रहा है।
अरुण भारती, जो कि जमुई से सांसद हैं और चिराग के बहनोई भी माने जाते हैं, ने पार्टी के अंदर यह प्रस्ताव रखा है कि कार्यकर्ता चाहते हैं कि चिराग सीधे विधानसभा के मैदान में उतरें और यदि संभव हो तो सामान्य (open/general) सीट से चुनाव लड़ें। इस प्रस्ताव के पीछे यह तर्क है कि चिराग किसी एक वर्ग तक सीमित नेता नहीं हैं, बल्कि वे पूरे बिहार में अपनी पहचान रखते हैं।
लेकिन, चिराग पासवान ने स्पष्ट किया है कि अभी तक यह तय नहीं हुआ है कि वे खुद चुनाव लड़ेंगे या नहीं। उन्होंने कहा कि यह निर्णय पार्टी द्वारा लिया जाएगा और यदि उनकी पार्टी की स्थिति को मजबूती मिलेगी, तो वे आगे आएँगे। साथ ही उन्होंने यह भी दोहराया कि मुख्यमंत्री पद के सवाल पर कोई फेरबदल नहीं है — वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही आगे भी वही भूमिका निभाएंगे।
वर्तमान में लोजपा-आर बिहार में विधानसभा स्तर पर मजबूत उपस्थिति नहीं रखती — यह पार्टी के पांच लोकसभा सांसदों द्वारा चलती है: चिराग पासवान (हाजीपुर), अरुण भारती (जमुई), राजेश वर्मा (खगड़िया), शंभवी चौधरी (समस्तीपुर), वीणा देवी (वैशाली)। इस स्थिति में, यदि विभागीय सदस्यों या पार्टी कार्यकर्ताओं की इच्छानुसार चिराग को मैदान में उतारा जाता है, तो यह लोजपा-आर की राजनीति के लिए एक अहम मोड़ माना जाएगा।
वहीं दूसरी ओर, पार्टी के भीतर सीटों के बंटवारे और गठबंधन राजनीति की चुनौतियाँ भी हैं। एनडीए के भीतर सहयोगी दलों के साथ तालमेल, सीटों की संख्या तय करना, और जीत की संभावनाओं को देखते हुए हर मोर्चे पर संतुलन बनाना लोजपा-आर की रणनीति का हिस्सा होगा। इस समय राजनीतिक गलियारों में यह कहा जा रहा है कि यदि पार्टी को पर्याप्त सीटें नहीं मिले तो लोजपा-आर अकेले मैदान में उतरने की संभावना भी मानी जा रही है।
पिछले लोकसभा चुनावों में लोजपा-आर ने अपनी याचिकाओं में 100 % सफलता दर्ज की थी, जिससे पार्टी में उम्मीद है कि विधानसभा स्तर पर भी वे ऐसी ही सफलता दोहरा सकें। लेकिन, इसका प्रदर्शन कितनी हकीकत बन पाता है, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा।