जब राजधानी में सुरक्षित नहीं आदिवासी तो ग्रामीण क्षेत्रों का क्या होगा : संजय सेठ

बिरसा भूमि लाइव

सुभाष मुंडा की श्रद्धांजलि सभा में पहुंचे सांसद, राज्य सरकार पर जमकर बरसे

रांची: सांसद संजय सेठ ने कहा कि झारखंड में आदिवासियों के हितों की सरकार है, परंतु धरातल पर सबसे अधिक असुरक्षित इस राज्य में आदिवासी बहन बेटियां और आदिवासी नेता ही है। विगत 1 सप्ताह की गतिविधियों को देखें तो ऐसा लगता है, जैसे इस राज्य के आदिवासियों को जानबूझकर टारगेट किया जा रहा है। विशेष रुप से झारखंड की राजधानी रांची की स्थिति बहुत ही भयावह है। जब राजधानी की स्थिति इतनी भयावह है तो हम सहज कल्पना कर सकते हैं कि पूरे राज्य की स्थिति क्या होगी।

सांसद शनिवार को युवा आदिवासी नेता सुभाष मुंडा के आवास पर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करने गए थे। उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद सांसद ने कहा कि यह सरकार आदिवासी हितों की रक्षा करने में पूरी तरह से विफल रही है।

सुभाष मुंडा जैसे युवा नेता को सरेशाम उनके दफ्तर में आकर गोली मारकर हत्या कर दी जाती है। आजसू के एक आदिवासी नेता पर जानलेवा हमला होता है। जब राजधानी का आदिवासी सुरक्षित नहीं है तो सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों की क्या स्थिति होगी। यह हम सहज कल्पना कर सकते हैं। राज्य सरकार से मेरी मांग है कि इन तीनों ही मामले में एसआईटी का गठन किया जाए। फास्ट ट्रैक कोर्ट में मामले चलाए जाएं और दोषियों को अविलंब फांसी की सजा दी जाए।

सांसद ने यह भी कहा कि बेहद दु:खद और दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक तरफ मुख्यमंत्री प्रशासन को कार्रवाई करने की खुली छूट देते हैं और दूसरी तरफ ताबड़तोड़ हत्याएं हो रही हैं। गोलियां बरस रही है। इससे कई बातें स्पष्ट होती है, जो कहने की जरूरत नहीं है। कहीं ना कहीं इस राज्य में अपराधियों को राजनैतिक संरक्षण प्राप्त है। तभी अपराधी इतनी हिम्मत कर पा रहे हैं।

मुख्यमंत्री से मेरा अनुरोध है कि आदिवासी हितों की सिर्फ बातें मत करिए। आदिवासियों की जल, जंगल, जमीन, उनकी इज्जत, आबरू, उनकी जान, सब कुछ सुरक्षित रहें, इसके लिए काम करिए।

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