नई दिल्ली। United States और India के बीच चल रही द्विपक्षीय व्यापार वार्ताओं में एक अहम मोड़ आने की संभावना है — अमेरिका भारत को आयात टैरिफ में राहत देने की दिशा में कदम उठा सकता है।
सूत्रों के अनुसार, वर्तमान में अमेरिका द्वारा भारत से आयातित कई उत्पादों पर लगायी गई ऊँची टैरिफ दरों को 15–18 प्रतिशत के स्तर तक लाने पर चर्चा चल रही है। यह वर्तमान में लगभग 50 प्रतिशत के स्तर पर बोली जा रही दरों की तुलना में काफी राहत देने वाली हो सकती है।
भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने इस बात की पुष्टि की है कि दोनों देशों ने “संरचनात्मक रूप से सकारात्मक” रूप से वार्ता की है और जल्द ही समझौते के रूप में कुछ प्रारंभिक समझ बन सकती है।
इस प्रस्तावित राहत से भारत के निर्यात-उद्योग, विशेष रूप से टेक्सटाइल, चमड़ा, ज्वैलरी एवं गहने जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों को लाभ मिल सकता है। अमेरिका की टैरिफ नीति में राहत आने से भारत के उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ सकती है।
हालाँकि, अभी कई विषय शेष हैं — जैसे अमेरिका की रूस से तेल एवं ऊर्जा लेन-देन को लेकर चिंताएँ, भारत की उत्पाद पहुँच एवं संवेदनशील क्षेत्रों में द्विपक्षीय हित-विभाजन। इन पर निष्पत्ति से पूर्व गांधी-व्यापी वार्ता जारी है।
इससे पहले अगस्त 2025 में अमेरिका ने भारत से आयातित वस्तुओं पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क लगाने का एलान किया था, जिससे कुल टैरिफ लगभग 50 प्रतिशत तक पहुँच रही थी। इस पृष्ठभूमि में अब राहत की दिशा में संकेत मिले हैं।
अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि यह समझौता सफल होता है, तो यह सिर्फ दो-देशीय व्यापार के लिए लाभदायक नहीं होगा बल्कि वैश्विक सप्लाई-चेन में भारत की भूमिका को भी मजबूत करेगा।


