बिरसा भूमि लाइव
रांची : लाइसेंसिंग व्यवस्था पर नाराजगी जताते हुए झारखण्ड कंज्यूमर प्रोडक्ट डिस्ट्रीब्यूटर्स एसोसियेशन (जेसीपीडीए) ने केंद्र व राज्य सरकार से वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अनुपयोगी हो चुके ट्रेड लाइसेंस और प्रोफेशनल टैक्स की अनिवार्यता पर पुर्नविचार का आग्रह किया। जेसीपीडीए के अध्यक्ष संजय अखौरी ने आपत्ति जताते हुए कहा कि वर्तमान में जो व्यापारी जीएसटी के तहत पंजीकृत हैं, उनपर स्थानीय स्तर पर प्रोफेशनल टैक्स और ट्रेड लाइसेंस लेने की बाध्यता कंप्लायंस का अतिरिक्त भार है। इससे तो ईज ऑफ डूईंग बिजनेस की अवधारणा ही बदल जाती है।
जीएसटी प्रभावी करते समय केंद्र सरकार द्वारा यह वायदा किया गया था कि जीएसटी के अलावा अब व्यापारियों को कोई अतिरिक्त कर देय नहीं होगा, किंतु अभी भी राज्यों द्वारा ट्रेड और प्रोफेशनल टैक्स जैसे अनावश्यक कानूनों के रूप में व्यापारियों का प्रताडित किया जा रहा है। 5 लाख से अधिक के वार्षिक टर्नओवर वाले व्यापारियों को प्रोफेशनल टैक्स के दायरे में लाकर वाणिज्य कर विभाग द्वारा पेशा कर में निबंधन के लिए बाध्य किया जा रहा है।
केंद्र सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए झारखण्ड समेत देश के विभिन्न राज्यों से इन दोनों कानूनों को समाप्त करने की पहल करनी चाहिए। उन्होंने राज्य सरकार को यह भी सुझाया कि यदि ट्रेड लाइसेंस समाप्त करने में कोई कठिनाई हो तो होल्डिंग टैक्स के अंदर ही ट्रेड लाइसेंस को समायोजित कर झारखण्ड में ट्रेड लाइसेंस की बाध्यता समाप्त करने की पहल करनी चाहिए। ईओडीबी की दिशा में यह सरकार का सकारात्मक प्रयास होगा। विदित हो कि हाल ही में वाणिज्यकर विभाग द्वारा नोटिस निर्गत कर प्रोफेशनल टैक्स में निबंधन लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा है जिससे व्यापारी चिंतित हैं।
जेसीपीडीए के अध्यक्ष श्री अखौरी ने यह भी कहा कि यह देखें तो एक व्यापारी पर केंद्र और राज्य सरकार के अनेकों लाइसेंस का भार है, उचित होगा कि अनावश्यक लाइसेंसों जो आज तार्किक नहीं हैं, को समाप्त अथवा सीमित किया जाय, इससे व्यापारी अतिरिक्त कंपलायंस के बोझ से मुक्त हो सकेंगे और देश की आर्थिक प्रगति में अपना योगदान दे सकेंगे।