आदिम जनजाति बहुल गांव में लोगों के घरों तक नहीं पहुंच रहा है नल से जल

राहुल कुमार

  • संवेदक ने गलत जगह पर लगा दिए जलमीनार लोगो को नही मिल रहा है लाभ
  • 160 की आबादी वाले कतारी कोना गांव में पेयजल संकट, लोग पी रहे हैं दूषित चुवा का पानी

चैनपुर (गुमला) : एक ओर जहां अप्रैल माह से ही क्षेत्र में भीषण गर्मी पड़ रही है गर्मी से आम आवन को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वही इस भीषण गर्मी में जंगल पहाड़ों में बसे विलुप्तप्राय आदिम जनजाति समुदाय के लोगो को पीने के पानी के लिए भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। प्रखंड के मालम पंचायत के कतारी कोना में विलुप्तप्राय आदिम जनजाति समुदाय के लोग निवास करते हैं। गांव में 28 घरों में कुल 180 लोगों की आबादी निवास करती है। इतने लोग पीने के पानी के लिए खेत में खोद कर बनाये गए चुवा का पानी का उपयोग करते हैं। गांव में दो हुए हैं मगर दोनों घर में के कारण सूख गए हैं।

ग्रामीणों ने बताया कि बाकी मौसम में तो जैसे-तैसे काम चल जाता है मगर गर्मी के दिनों में काफी परेशानी झेलनी पड़ती है पानी भी सूखने लगता है गंदा वह दूषित पानी पीकर हमें अपनी प्यास बुझानी पड़ती है। वहीं ग्रामीणों ने बताया कि गांव में नीचे की ओर 3 माह पूर्व एवं जल मीनार का निर्माण कराया गया है मगर संवेदक के लापरवाही के कारण जलमीनार का लाभ हम ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है। ग्रामीण राम चरन असुर, सुकरा असुर, गुलाबी असुराइन सहित कई लोगों ने कहा कि हमें जलमीनार को गांव में लगवाने की मांग की थी मगर संवेदक की मनमानी रवैया के कारण जलमीनार को गांव से नीचे लगा दिया गया है वहीं जलमीनार को एक सूखे कुएं में फिट कर दिया गया है। जिसके कारण जल मीनार गर्मी आते ही अपना दम तोड़ दिया।

जलमीनार से पानी जलमीनार के पास से निकलता है लोगों के गांव में घरों तक पानी नहीं पहुंच पाता है। जबकि यह योजना हर घर नल से स्वच्छ जल पहुंचाने की योजना है। जलमीनार को बड़ी बस्ती से नीचे की ओर लगाने के कारण ग्रामीणों को जल से नल का लाभ नहीं मिल पाता है। वहीं लोगों ने बताया कि 5 वर्ष पूर्व जिला परिषद मद से गांव में जल मीनार का निर्माण कराया गया था जिससे लोगों को स्वच्छ पेयजल मिल रहा था मगर पिछले 2 सालों से यह जलमीनार भी खराब होकर पड़ा हुआ है इसकी जानकारी लगातार जनप्रतिनिधि से लेकर विभाग के अधिकारियों को भी दी गई है मगर इसकी मरम्मत पर किसी ने कोई पहल नहीं की।

ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए कहा कि हम लोगों के द्वरा संवेदक को कई बार उक्त जगह पर जलमीनार लगाने के लिए मना किया गया था। इसके बाद भी संवेदक बिना ग्रामीणों के सहमति के ही गलत जगह पर जलमीनार का निर्माण करा दिया जिससे हमें जलमीनार का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। और हम गांव के लोग बूंद-बूंद पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं।

ग्रामीणों ने जलमीनार को सही जगह पर लगाकर नल से जल योजना का लाभ दिलाने की मांग की है। इस संबंध में विभाग के इंजीनियर रजनीश से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि ग्रामीणों के विरोध के बाद भी गलत जगह में जल मीनार लगाया गया है उसकी जांच की जाएगी। उन्होंने बताया कि अभी लगातार 134 स्कीमों की जांच की गई है। उक्त गांव में बोरिंग होना संभव होगा तो वहां बोरिंग भी कराया जायेगा लोगों को घरों तक स्वच्छ नल से जल मिले इसके लिए विभाग कार्य कर रही है।

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