सूर्य के अध्ययन से मिलेगी अन्य आकाश गंगाओं के बारे में जानकारी : इसरो

बिरसा भूमि लाइव

चेन्नई : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) गतिशील सूर्य का अध्ययन करने के लिए अपने पहले सौर खोज मिशन ‘आदित्य एल1 उपग्रह ’ के प्रक्षेपण की तैयारी कर रहा है और आने वाले दिनों में इस मिशन के लिए पोलर सेटैलाइट लांच व्हिकल (पीएसएलवी) को काम में लिया जायेगा।

इसरो ने कहा कि सूर्य सबसे निकटतम तारा है और इसलिए अन्य तारों की तुलना में इसका अधिक विस्तार से अध्ययन किया जा सकता है। उसने कहा, “सूर्य का अध्ययन करके हम अपनी आकाशगंगा के तारों के साथ-साथ विभिन्न अन्य आकाशगंगाओं के तारों के बारे में भी बहुत कुछ जान सकते हैं।”

इसरो ने कहा, “सूर्य एक बहुत ही गतिशील तारा है और जितना हमें दिखाई देता है उससे कहीं अधिक फैला हुआ है। यह कई विस्फोटक घटनाएं दिखाता है और सौर मंडल में भारी मात्रा में ऊर्जा छोड़ता है। यदि ऐसी विस्फोटक सौर घटनाएं पृथ्वी की ओर निर्देशित होती हैं, तो यह पृथ्वी के निकट अंतरिक्ष वातावरण में विभिन्न प्रकार की गड़बड़ी पैदा कर सकती हैं।”

इसमें कहा गया है कि विभिन्न अंतरिक्ष यान और संचार प्रणालियाँ ऐसी गड़बड़ी से ग्रस्त हैं और इसलिए पहले से ही सुधारात्मक उपाय करने के लिए ऐसी घटनाओं की प्रारंभिक चेतावनी महत्वपूर्ण है। इनके अतिरिक्त, यदि कोई अंतरिक्ष यात्री सीधे ऐसी विस्फोटक घटनाओं के संपर्क में आता है, तो वह खतरे में पड़ सकता है। सूर्य पर विभिन्न तापीय और चुंबकीय घटनाएं अत्यधिक प्रकृति की हैं। इस प्रकार सूर्य उन घटनाओं को समझने के लिए एक अच्छी प्राकृतिक प्रयोगशाला भी प्रदान करता है जिनका सीधे प्रयोगशाला में अध्ययन नहीं किया जा सकता है।

 

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