बिरसा भूमि लाइव
रांची: लालपुर चौक अवस्थित होटल सिटी पैलेस में झारखंड की प्रसिद्ध एवं सम्मानित साहित्यिक संस्था ‘शब्दकार’ द्वारा होली के अवसर पर होली मिलन गोष्ठी का आयोजन हुआ। रंग और गुलाल से भरी इस गोष्ठी ने सभी श्रोताओं और दर्शकों का अत्यंत मनोरंजन किया। हास्य कविताओं से लेकर हल्की फुहार भरी और कुछ एक गंभीर रचनाओं ने सभी श्रोताओं का मन मोह लिया। शहर के 30 से ज्यादा कवियों ने यहां अपनी रंग भरी कविताएं प्रस्तुत की और होटल सिटी पैलेस के वातावरण को अपने विविध रंगों से सराबोर किया।
रंगों की फुहार से भरे इस कार्यक्रम में कुमार बृजेंद्र, प्रवीण परिमल, नरेश बंका, वीना श्रीवास्तव, नीरज नीर, नंदा पाण्डेय, राजीव थेपड़ा, रश्मि शर्मा, मधुमिता साहा, अजित कुमार प्रसाद, श्रीमती मृदुला सिन्हा, अंशुमिता, निराला पाठक , संगीता सहाय ‘अनुभूति’, अर्पणा सिंह, मनीषा सहाय, कविता रानी सिंह , जय माला कुमार, सुनीता अग्रवाल, पंकज पुष्कर, पुष्पा पांडे मनीषा सहाय, रजनी शर्मा चंदा के अलावा कई अन्य कवि भी शामिल हुए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुमार बृजेंद्र और विशिष्ट अतिथि प्रवीण परिमल एवं नीरज नीर थे। कुमार बृजेंद्रने भी अपने उद्बोधन वक्तव्य के साथ अपनी एक से बढ़कर एक रचनाओं से सबको बेहद प्रभावित किया। शहर के प्रसिद्ध व्यंग्यकार नरेश बंका ने भी होली के अवसर पर अपनी एक से एक चुटीली रचनाओं से श्रोताओं को हंसाया।
कार्यक्रम की शुरुआत शब्दकार की सचिव रश्मि शर्मा ने स्वागत उद्बोधन के बाद अपने मोहक अंदाज में वन-प्रांतर का वर्णन करते हुए अपनी बेहद उम्दा रचना प्रस्तुत की। शब्दकार की अध्यक्षा वीणा श्रीवास्तव ने अपनी गंभीर रचना प्रस्तुत की। शब्दकार की कार्यकारिणी की सदस्या नंदा पांडे ने अपनी एक गंभीर कविता सुनाया। शहर के नवेले कवि अजित कुमार प्रसाद ने होली का स्वागत किया।
संगीता सहाय ‘अनुभूति’ ने कहा -‘हमें उम्र ने नहीं अनुभवों ने पाला है/हर कौर कड़वा है हर सीख निवाला है’। जयमाला ने एक बेहद गंभीर रचना पेश की – यह फूलों की चादर ओढ़े धरती के दिन है/यह स्वप्न देखने के दिन हैं। रांची की जानी मानी लघुकथाकार भारती सिंह, जो अब अफ्रीका में जा बसी हैं। उन्होंने व्हाट्सएप से होली पर अपनी रचना भेजी जिसे राजीव थेपड़ा ने स्वर दिया-‘जोगीरा सारा रा रा/होली मनाने गयी गुलाबो/पहन कुर्ती उजली वाली/सखियों ने मला गुलाल/मय दोनो दिखे काली काली’। तो वहीं अर्पणा सिंह ने कहा- मुझे अपने ही रंग में रंग लो गिरिधारी/बीते माघ आइल फाग। पुष्कर पुष्प ने कहा- ‘इस बार की होली का तो बस हाल पूछो मत भैवा’।
सुनीता अग्रवाल ने अपने गिरधारी के संग होली खेलते हुए इन शब्दों में अपनी रचना प्रस्तुत की- ‘मैं तोय संग होली खेलूँगी ओ मेरे मन बसिया’। मधुमिता साहा ने अपनी रचना प्रस्तुत की- ‘रंगों सी भरी हो जिंदगी ,बिना रंगों के फीकी है जिंदगी’। मनीषा सुमन इन शब्दों में अपनी रचना को स्वर दिया- ‘राधा के रंग मे रंगे माधव मोहन मीत/थिरके ताल पर दोनो, मनभावन ये प्रीत। पुष्पा सहाय’गिन्नी’ ने भी एक उम्दा रचना प्रस्तुत करते हुए कहा -‘लगा लो थोड़ा गुलाल चेहरे पर इस होली में/छुपा लो उम्र की लकीरें चेहरे से इस होली में। कार्यक्रम का बेहद उम्दा संचालन करते हुए राजीव थेपड़ा ने भी सस्वर गीत सुनाए। धन्यवाद ज्ञापन नंदा पांडे ने किया ।