पर्यावरण एवं सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि जेंगमो ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र भेजा है, जिसमें उन्होंने अपने पति की निहित बिनापर शर्त मुक्ति की मांग की है। इस पत्र की एक प्रति उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भी भिजवाई है।
गीतांजलि ने पत्र में रोते हुए कहा कि उन्हें गिरफ्तारी के बाद से अपने पति से किसी प्रकार की बातचीत करने का अवसर नहीं मिला है। उन्होंने चिंता जताई कि न तो उन्हें यह जानकारी दी गई कि वर्तमान में उनकी स्थिति क्या है, न ही उन्हें कानूनी प्रक्रियाओं की जानकारी दी गई।
पत्र में उन्होंने यह भी लिखा कि पंचायत प्रशासन और सुरक्षा बलों ने उनके और उनके संस्थान HIMALAYAN INSTITUTE OF ALTERNATIVES LADAKH (HIAL) पर निगरानी बढ़ा दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले कुछ दिनों में संस्थान के दो सदस्यों को गैरकानूनी तरीके से हिरासत में लिया गया।
इन सबके बीच, गीतांजलि ने यह भी वर्णन किया कि जब सोनम को हिरासत में लिया गया, तब उन्हें अपने कपड़े और आवश्यक दवाइयाँ भी साथ नहीं लेने दी गईं। उन्होंने यह आशंका जताई कि उनकी शारीरिक स्थिति पहले से ही कमजोर है, क्योंकि सितंबर 2025 में उन्होंने लगभग 15 दिन का उपवास किया था।
पत्र में उन्होंने राष्ट्रपति से यह सवाल भी किया है कि “क्या यह अपराध है कि कोई व्यक्ति शांतिपूर्ण तरीके से ग्लेशियरों के पिघलने, जलवायु बदलाव, शिक्षा सुधार और आदिवासी प्रवंचनाओं की बात उठाए?” गीतांजलि का तर्क है कि तीन साल से अधिक समय से उनके पति का शांतिपूर्ण आंदोलन एवं लेखन, भाषण, आंदोलनों के लिए उन पर यह कठोर कदम “स्याही जादू”活动” है।
उन्होंने राष्ट्रपति से यह अपील की है कि वे इस मामले में हस्तक्षेप करें और सोनम वांगचुक को तुरंत एवं बिनापर शर्त रिहा करें, ताकि उन्हें न्याय मिले और लोकतांत्रिक आवाज़ दबाई न जाए।