बिरसा भूमि लाइव
रांची: बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के पशु चिकित्सा संकाय द्वारा कृत्रिम गर्भाधान प्रौद्योगिकी विषय पर आयोजित 30 दिवसीय सांतवा मल्टीटास्किंग आर्टिफीसीयल इनसेमीनेशन तकनीशियन फॉर रूरल इंडिया (मैत्री) प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न हुआ। कार्यक्रम के दौरान चतरा, देवघर, गिरिडीह, पलामू, रांची, गुमला, पश्चिमी सिंहभूम एवं गोड्डा जिले के कुल 48 बेरोजगार शिक्षित युवक-युवतियों को पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान का व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन केंद्र प्रायोजित राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना के अधीन झारखण्ड स्टेट इम्प्लीमेंटिंग एजेंसी (जेएसआईए) – कैटल एंड बुफैलो डेवलपमेंट यूनिट के माध्यम से किया जा रहा है। योजना के तहत राज्य में पंचायत स्तर पर मल्टीटास्किंग आर्टिफीसीयल इनसेमीनेशन तकनीशियन फॉर रूरल इंडिया (मैत्री) की स्थापना की जा रही है। इस व्यावहारिक प्रशिक्षण के उपरांत सभी प्रशिक्षित प्रतिभागी पुनः जेएसआईए के माध्यम से सबंधित जिलों के कृत्रिम गर्भाधान केन्द्रों में पशु चिकित्सकों के मार्गदर्शन में दो महीने का फील्ड ट्रेनिंग और अनुभव प्राप्त करेंगे।
समापन समारोह के अवसर पर मुख्य अतिथि प्रभारी डीन वेटनरी डॉ एमके गुप्ता ने सभी प्रशिक्षाणार्थियों प्रमाण-पत्र प्रदान किया। प्रशिक्षाणार्थियों को प्रशिक्षणोंपरांत ग्रामीण स्तर पर दक्ष कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्त्ता के रूप में ईमानदारी एवं लगन से कार्य करने की बात कही। उन्होंने स्थानीय गो – पालक से अनुभवों को साझा तथा ग्रामीण स्तर पर कम खर्च पर कृत्रिम गर्भाधान द्वारा नस्ल सुधार को आगे बढ़ाने पर जोर दिया, ताकि राज्य में गव्य विकास कार्यक्रम को गति मिले।
मौके पर जेएसआईए, होटवार के मुख्य अनुदेशक डॉ केके तिवारी ने इस कार्यक्रम को गव्य विकास की दिशा में सरकार की एक बड़ी पहल बताया। उन्होंने कहा कि तीन महीने के प्रशिक्षणोंपरांत सभी प्रशिक्षाणार्थियों पर ग्रामीण स्तर पर कृत्रिम गर्भाधान से दुधारू पशु नस्ल सुधार की बड़ी जिम्मेदारी होगी। प्रशिक्षाणार्थियों की कार्य दक्षता एवं कार्य उपलब्धियों पर मानदेय और आमदनी निर्भर होगी।
कार्यक्रम का संचालन ट्रेनिंग असिस्टेंट (मैत्री) डॉ एके झा ने किया। मौके पर डॉ पंकज कुमार एवं मृतुन्जय सिंह भी मौजूद थे।