भारत की प्रमुख रिफाइनरी कंपनियाँ, विशेष रूप से निजी क्षेत्र की Reliance Industries और सरकारी सार्वजनिक उपक्रम (पीएसयू) रिफाइनरियाँ, अब रूस से कच्चे तेल के आयात को रोकने या कम करने पर विचार कर रही हैं। इसका मुख्य कारण है पिछले हफ्ते अमेरिका द्वारा Rosneft व Lukoil जैसे रूसी तेल उत्पादक कंपनियों पर लगाये गए सख्त प्रतिबन्ध।
यूएस प्रतिबन्धों के अंतर्गत 21 नवंबर तक इन रूसी कंपनियों से लेन-देनों को बंद करने का समय दिया गया है। भारत में इसके असर के चलते रिफाइनरियाँ अपनी खरीदी रणनीति पुनर्मूल्यांकन कर रही हैं, ताकि अमेरिकी वित्तीय व व्यापारिक दबावों का सामना न करना पड़े।
भारत ने पिछले कुछ वर्षों में रूस से अत्यधिक छूट वाले कच्चे तेल को बड़ा स्रोत बनाया था, लेकिन अब रूसी तेल डिस्काउंट कम होने, सप्लाई असमर्थ होने और भू-राजनीतिक दबाव के चलते विकल्प तलाश रही है।
रिफाइनरियों को रूसी तेल बंद करने से मिल रही छूट को खोने का डर है, जिससे उनका क्रूड सोर्सिंग खर्च बढ़ सकता है तथा लाभप्रदता पर असर पड़ सकता है। निजी रिफाइनरी के एक विश्लेषक का कहना है कि रूस-आधारित सौदों पर बड़ी अनिश्चितता है।
सरकारी रिफाइनरियाँ भी अपने दस्तावेजों व चालान (बिल ऑफ लेडिंग) की समीक्षा कर रही हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आने वाली खेपें सीधे रूस की प्रतिबंधित कंपनियों से न हों।
इस बदलाव का मतलब यह है कि भारत के लिए अब मध्यपूर्व, पश्चिम अफ्रीका और अन्य स्रोतों से कच्चा तेल आकर्षित करने का समय बढ़ रहा है, ताकि ऊर्जा सुरक्षा व लागत स्थिरता बनी रहे।


