1992 में रिलीज हुई फ़िल्म ‘रात’ हिन्दी सिनेमा में हॉरर जॉनर के एक महत्वपूर्ण क्षण के तौर पर याद की जाती है। राम गोपाल वर्मा द्वारा लिखी और निर्देशित यह फ़िल्म उनके करियर की पहली सुपरनैचुरल हॉरर फिल्म थी। इसने सीमित संसाधनों के बावजूद बॉक्स-ऑफिस पर लगभग ₹2 करोड़ की कमाई की, जो उस दौर के लिए हॉरर फिल्मों में एक बड़ी उपलब्धि थी।
कहानी और शैली
‘रात’ में शर्मा परिवार नए घर में शिफ्ट होता है जहाँ अजीब-ओ-गरीब और भयावह घटनाएँ घटने लगती हैं। परिवार की लड़की, मिनी, अचानक भयावह अनुभवों का शिकार होती है और परिवार तंत्र साधक एवं वैज्ञानिक दोनों तरीकों से उसके इस बदलाव को समझने की कोशिश करता है। फ़िल्म का माहौल, ध्वनि-प्रभाव और निर्देशन दर्शकों में भय और suspense को बनाए रखने में सफल रहे हैं।
तकनीकी विशेषताएँ और अनूठापन
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‘रात’ एक समय की आखिरी हिन्दी/तेलुगु फिल्म थी जो 70 मिमी नेगेटिव पर शूट की गई।
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इस फ़िल्म में गीत-संगीत से ज्यादा बी-ग्राउंड स्कोर पर जोर दिया गया, और पारंपरिक गानों के बिना ही फ़िल्म ने अपनी पहचान बनाई।
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उसकी IMDb रेटिंग लगभग 7.0/10 है, जो बताती है कि लोगों में इस फिल्म के प्रति और आज भी एक सम्मानित स्थायी रुझान है।
बॉक्स ऑफिस प्रदर्शन और विरासत
बॉक्स-ऑफिस पर ‘रात’ ने शुरुआत में औसत सफलता पाई, लेकिन समय के साथ इसने एक cult classic का दर्जा पा लिया।
इसने भारतीय हॉरर शैली को एक नई दिशा दी — जैज़ब और डर-साज़ वातावरण, तकनीकी नज़ाकत और मनोवैज्ञानिक भय का मिश्रण जैसे तत्व अब हॉरर फिल्मों में आम हो गए।


