नई दिल्ली: भारतीय सेना के प्रमुख अभियानों के निदेशक (DGMO) लेफ्टिनेंट जनरल राजीव गढ़ाई ने खुलासा किया है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय नौसेना को अरब सागर में तैनात किया गया था और वह पूरी तरह कार्रवाई के लिए तैयार थी। यदि पाकिस्तान ने तनाव को बढ़ाया होता, तो परिणाम उसके लिए विनाशकारी हो सकते थे।
उन्होंने कहा कि जब DGMO ने वार्ता की, उस समय नौसेना ने अपने को “बहुत अच्छे स्थिति में” रखा था। यदि शत्रु ने और कदम बढ़ाया होता, तो सीमित संघर्ष से आगे बढ़कर कई आयामों से भारी प्रभाव पड़ा सकता था।
ले. जन. गढ़ाई ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर की योजना बहुआयामी और बहुत रणनीतिक थी। भारत ने आतंकवादियों के ठिकानों पर सटीक हमला किया और नियत सीमाओं के भीतर ही कार्रवाई की, लेकिन किसी भी स्थिति के लिए तैयार भी रहा।
उनका यह भी कहना था कि भारत ने इस ऑपरेशन में अपने अगले कदम पहले से ही अनुमानित कर रखे थे — चार से पांच चरण आगे का आंकलन किया गया था, ताकि विरोधी की प्रतिक्रियाएँ सीमित की जा सकें।
उन्होंने जोर दिया कि इस कार्रवाई का उद्देश्य विवाद को बढ़ाना नहीं, बल्कि आतंकवाद का निर्णायक जवाब देना था।