बिरसा भूमि लाइव
- कथा के श्रवण से मानव का मानसिक एवं आध्यात्मिक विकास : पंडित नीरज
रांची: श्रीधाम वृन्दावन से राष्ट्रीय कथा प्रवक्ता परम पूज्य पंडित नीरज कृष्ण शास्त्री ने कहा कि आज हमारे देश मे आदिकाल से वेद पुराण सम्मत संस्कार/संस्कृति, आध्यात्म एवं सनातन धर्म को भूलकर लोग पाश्चात्य संस्कृति को अपनाने की होड़ मे लगे है। उस पाश्चात्य संस्कृति, जिसका प्रादुर्भाव भोग विलासिता पर आधारित है, जो कालांतर मे मनुष्य को निराशा और अशान्ति के सागर मे डुबो देती है। जबकि भारतीय सनातन धर्म, संस्कृति और आध्यात्म पुरातन वेद पुराण से प्रादुर्भावित है। इसके अनुसरण से मानव का मानसिक एवं आध्यात्मिक विकास होता है। जीवन मे शान्ति, संतुष्टी एवं सुख आजीवन बना रहता है।
पंडित नीरज कृष्ण शास्त्री रविवार को हुटुप गौशाला, रूक्का डैम के पास आयोजित गौ माता को समर्पित संगीतमय “श्रीमद्भागवत कथा में बोल रहे थे। इसका कथा का आयोजन श्री गोपीकृष्ण सेवा संस्थान के तत्वावधन में किया गया है। यह कथा 18 मार्च तक दोपहर 3 बजे से सायं 6 बजे तक चलेगा। पंडित नीरज शास्त्री ने कहा कि ” सर्व लोक हिते रता” याने की समस्त प्राणियो के कल्याण के लिए तत्पर ” किन्तु बगैर सांस्कृतिक और आध्यात्मिक उत्थान के लोक का कल्याण सम्भव नही। श्री मदभागवत पुराण की कथा इन्ही वेद पुराणो का एक सशक्त और अत्यधिक प्रभावशाली भाग है।
कथा के पूर्व सुबह सात बजे कलेश यात्रा निकाली गयी। कलश यात्रा में 251 महिलाएं शामिल हुई। वहीं कलश यात्रा में पंडित नीरज शास्त्री भी शामिल हुए। श्री गोपी कृष्ण सेवा संस्थान के अध्यक्ष सज्जन सिंघानिया ने बताया कि हमारे सनातन धर्म के सात स्तंभों में प्रथम स्तंभ परम पूज्या गौ माता ही है, हमारे सनातन धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि “गवां मध्ये वसाम्यहम्” इस उक्ति को चरितार्थ करते हुए संस्थान सात दिनों तक गायों के मध्य ये परम पुनीत आयोजन करवा रही है।
कार्यक्रम को सफल बनाने में मीरा अग्रवाल, ज्योति कुमार, जेपी शर्मा, ज्योति कुमारी, सुरेश कुमार, सुरेश अग्रवाल, रतन कुमार शर्मा, राजेश चौधरी समेत अन्य लोग सहयोग कर रहे हैं। यह जानकारी ज्योति कुमारी ने दी।