बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर तनाव उभरकर सामने आया है। पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के नेता जीतन राम मांझी ने स्पष्ट किया है कि यदि उनकी पार्टी को 15 विधानसभा सीटें न दी गईं, तो वह चुनाव नहीं लड़ेगी।
मांझी ने सोशल मीडिया के माध्यम से एक सशक्त संदेश देते हुए कहा कि वह अपनी पार्टी को सम्मानजनक हिस्सेदारी दिलाने के लिए तैयार हैं, लेकिन अगर इसे नजरअंदाज़ किया गया तो आगे कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने रामधारी सिंह दिनकर की प्रसिद्ध कविता “रश्मिरथी” की पंक्ति बदलकर उद्धृत की —
“हो न्याय अगर तो आधा दो, यदि उसमें भी कोई बाधा हो, तो दे दो केवल 15 ग्राम…”
इस पंक्ति का प्रयोग उन्होंने इसलिए किया ताकि उनकी न्यूनतम मांग को दर्शाया जा सके।
मांझी ने लाभान्वित यह भी कहा कि वह मुख्य रूप से पार्टी को मान्यता दिलाना चाहते हैं, न कि मुख्यमंत्री पद की चाह रखते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी हमेशा से कम सीटों की मांग करती रही है, ताकि चुनाव आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त हो सके।
इसके साथ ही, उन्होंने यह भी संकेत दिया कि यदि यह मांग पूरी नहीं होती है, तो वह चुनाव न लड़ने की स्थिति में भी एनडीए के प्रति प्रतिकूल नहीं होंगे — यानि समर्थन कर सकते हैं, लेकिन खुद नहीं मैदान में उतरेंगे।
यह बयान राजनीतिक दलों के बीच सीट बंटवारे की बातचीत को और जटिल बनाता दिख रहा है। “बीरसा भूमि” इस खबर की आगे की प्रगति, गठबंधन दलों की प्रतिक्रिया और सीट बंटवारे की अंतिम रणनीति पर नजर रखेगा।