बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन द्वारा कल जारी किए जाने वाले संयुक्त चुनाव-घोषणा-पत्र में दो मुख्य वादे प्रमुख रूप से शामिल हैं — एक, राज्य में हर घर में निशुल्क बिजली के 200 यूनिट तक प्रवाह का प्रस्ताव, और दूसरा, राज्य की महिलाओं को प्रतिमाह 2,500 रुपए प्रतिफला स्वरूप देने का आश्वासन।
विवरण के अनुसार, गठबंधन का मानना है कि इन दोनों बड़े वादों से सामाजिक एवं आर्थिक न्याय को बढ़ावा मिलेगा तथा महिलाओं-पिछड़े वर्गों के मतदाताओं में सरकार-वित्तीय भरोसा सृजित होगा। विश्लेषकों का कहना है कि यह घोषणापत्र न सिर्फ चुनावी रणनीति का हिस्सा है बल्कि विकास-उन्मुख एवं कल्याण-संचालित मॉडल की ओर एक जनदृष्टिगत मोड़ भी दिखाता है।
प्रस्तावित मुफ्त बिजली स्कीम के तहत अपेक्षित घरेलू उपभोक्ताओं को मासिक सीमित यूनिट तक शुल्क-मुक्त बिजली उपलब्ध कराई जाएगी जिससे ग्रामीण व शहरी दोनों क्षेत्रों में ऊर्जा-सुविधा की पहुँच बढ़े। महिलाओं को दिए जाने वाले 2,500 रुपए के मासिक अनुदान को गठबंधन ने “माँ-बहन-मान” योजना के रूप में प्रस्तुत किया है, जिसमें महिला-सशक्तिकरण एवं घरेलू आर्थिक स्थिरता पर जोर है।
हालाँकि, इस घोषणा-पत्र के बाद भी चुनौतियाँ कम नहीं हैं — जैसे इस योजना के क्रियान्वयन की वित्तीय स्थिरता, पात्रता-मानदंडों का निर्धारण, बिजली नेटवर्क-सुधार की तैयारियाँ व वास्तविक लाभार्थियों तक सेवा पहुँच सुनिश्चित करना। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इन वादों की स्थ-प्रभावशीलता और चुनाव बाद उनकी मैनेजमेंट, इनकी स्वीकार्यता को तय करेगी।


