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Wednesday, March 22, 2023

जनजातियों की सूची में समुहों को जोड़ने में लोकुर समिति के मापदंड का पालन हो : डॉ सुखी उरांव

बिरसा भूमि लाइव

रांची: वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा उज्जैन में आयोजित अखिल भारतीय बैठक में देश भर से पधारे प्रांत मंत्री, सह-मंत्री, प्रांत संगठन मंत्री, सह संगठन मंत्री तथा उपर के सभी अधिकारियों ने मिलकर विभिन्न सत्रों में कार्य का वृत्त एकत्रित कर कल्याण आश्रम के आगामी कार्यक्रमों का रूप- रेखा को तैयार किया। विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा किए जा रहे कार्यों, जिसमें सामान्य जाति को भी जनजातीय सूची में डाला जा रहा है उसे ले कर चिंता व्यक्त की गई l

बैठक में चिंता व्यक्त की गई की जनजातियों की सूची में नए-नए समूह को जोड़ने के सन्दर्भ में मानो होड़ लगी है। इस पर चर्चा हुई और एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव सर्वानुमति से पारित हुआ की लोकुर समिति द्वारा निर्दिष्ट मापदंडों का कड़ाई से पालन होना चाहिए की बात पर जोर दिया गया। सन 1970 के पश्चात जिस प्रकार से लोकुर समिति द्वारा निर्दिष्ट मापदंडों के बारे में अनदेखी हो रही है वह असहनीय है।

इस विषय को लेकर कार्यकर्ता समाज मैं जागरण करेंगे। अब जनजाति समाज के जागृत व्यक्ति सामाजिक कार्यकर्ता, चुने हुए जन प्रतिनिधि और शासन-प्रशासन का सम्पर्क करना यह समय की मांग है और सर्व समर्थन से अखिल भारतीय वनवासी कल्याण केंद्र के केंद्रीय कार्यकारी मंडल में प्रस्ताव पारित किया गया कि लोकुर समिति द्वारा निर्दिष्ट मापदंडों का कड़ाई से पालन होना चाहिए और इसके लिए देश की प्रत्येक प्रांत से लेकर पंचायत तक बात जानी चाहिए जन जागृति के लिए।

इसी के आलोक में रविवार झारखंड वनवासी कल्याण केंद्र के प्रांत कार्यकारिणी की बैठक आरोग्य भवन बरियातू में हुई और केंद्रीय प्रस्ताव पर सहमति जताते हुए राज्य सरकार एवं गवर्नर को मिलकर ज्ञापन देने की बात पर सहमति हुई। जहां बैठक की अध्यक्षता करते हुए वनवासी कल्याण केंद्र झारखंड के अध्यक्ष डॉक्टर सुखी उराव ने प्रांत कार्यकारिणी के सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव पर सहमति जताई।

इस बैठक में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के चेयरमैन हर्ष चौहान और आयोग के सदस्य अनंत नायक भी कार्यकर्ताओं को मिलने पधारे थे। हर्ष चौहान ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हम जनजाति समाज की अस्मिता, अस्तित्व और विकास के लिए कार्य कर रहे है अपनी संस्कृति इतिहास और सामाजिक व्यवस्था इन विशयों पर जनजाति युवा वर्ग को शोध कार्य करना चाहिए। इसके चलते जनजाति समाज के बारे में जो भ्रामक छवी को मिटाकर सही प्रतिमा समाज के सामने ला सके।

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