प्रदेश गठन के 25 वर्षों में झारखंड ने पर्यटन क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। राज्य बनने के समय से ही (सन् 2000) पर्यटन को विकास के प्राथमिक मार्ग के रूप में देखा गया। सुरक्षा माहौल सुधरने और नक्सल-प्रभावित क्षेत्रों में नियंत्रण मिलने के बाद, पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में ठोस कदम उठाये गए।
विशेष रूप से, पर्यटन विभाग ने Tourism Policy 2021 को प्रभावी रूप से लागू किया है, जिसके अंतर्गत धार्मिक-पर्यावरण (ईको-टूरिज्म), सांस्कृतिक, साहसिक, ग्रामीण तथा खनन-पर्यटन को समाहित किया गया है।
मुख्य उपलब्धियों में शामिल हैं:
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राज्य-स्तरीय पर्यटन स्थलों को रेलवे, सड़क और वायु मार्ग से जोड़ने की योजना;
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बंद खदानों में पर्यटन शुरू करने में झारखंड पहला राज्य बना;
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ईको-टूरिज्म हेतु चांडिल डैम, नेतरहाट, बेतला आदि क्षेत्रों का चयन;
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देवघर के बाबा वैद्यनाथ मंदिर एवं कांवर पथ का विकास;
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ग्रामीण-पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए होम-स्टे आदि सुविधाओं का आरंभ;
इन पहलों ने न केवल राज्य की पर्यटन-छवि को देशी स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मजबूती दी है। इसके परिणामस्वरूप अब विदेशी पर्यटक भी झारखंड की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
आगे की दिशा में, पर्यटन स्थलों में निजी-सहभागिता (पीपीपी) मॉडल अपनाने, बुनियादी ढांचे को और सुदृढ़ करने एवं स्थानीय समुदायों को भागीदार बनाकर पर्यटन-वर्ग को समाहित करने की प्राथमिकता है।


