बिरसा भूमि लाइव
रांची : झारखंड हाई कोर्ट ने विधानसभा नियुक्ति गड़बड़ी मामले में राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की रिपोर्ट एवं एसजे मुखोपाध्याय आयोग की रिपोर्ट शपथ पत्र के माध्यम से कोर्ट में प्रस्तुत करे। पूर्व में सरकार की ओर से दोनों रिपोर्ट सीलबंद प्रस्तुत की गई थी। चूंकि, विधानसभा के पटल पर एसजे मुखोपाध्याय आयोग की ही रिपोर्ट केवल प्रस्तुत की गई थी। इसलिए सरकार की ओर से एसजे मुखोपाध्याय आयोग की रिपोर्ट शपथ पत्र के माध्यम से प्रस्तुत की गई।
महाधिवक्ता राजीव रंजन कोर्ट ने मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पक्ष रखा।कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 19 जून निर्धारित की है। झारखंड विधानसभा में नियुक्ति गड़बड़ी मामले में शिव शंकर शर्मा ने जनहित याचिका दाखिल की है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार और झारखंड विधानसभा से पूछा था कि जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की रिपोर्ट में क्या त्रुटियां थी, जिसके कारण दूसरी आयोग बनानी पड़ी।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता की ओर से पूर्व की सुनवाई में कोर्ट को बताया गया था कि मामले की जांच को लेकर पहले जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की अध्यक्षता वाली वन मैन कमिशन बनी थी, जिसने मामले की जांच कर राज्यपाल को वर्ष 2018 में रिपोर्ट सौंपी थी, जिसके आधार पर राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष को एक्शन लेने का निर्देश दिया था लेकिन वर्ष 2021 के बाद से अब तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है। राज्यपाल के दिशा-निर्देश के बावजूद भी विधानसभा अध्यक्ष द्वारा इस मामले को लंबा खींचा जा रहा है। मामले में देरी होने से गलत तरीके से चयनित होने वाले अधिकारी सेवानिवृत हो जाएंगे।