बिरसा भूमि लाइव
रांची : झारखंड हाई कोर्ट ने नौकरानी सुनीता खाखा के साथ क्रूरता मामले में निचली अदालत द्वारा डिस्चार्ज पिटीशन खारिज किए जाने को चुनौती देने वाली भाजपा की निलंबित नेता सीमा पात्रा की क्रिमिनल रिवीजन की मेंटीबिलिटी (याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं) पर मंगलवार को फैसला सुनाया।
कोर्ट ने इस मामले में दायर क्रिमिनल रिवीजन को अमान्य कर दिया। साथ ही मामले को अपील में तब्दील करते हुए सुनवाई की अगली तिथि निर्धारित की है। कोर्ट ने कहा कि एसटी-एससी अधिनियम की धारा 14ए के तहत इस मामले में अपील दाखिल की जानी चाहिए थी।
बीते सोमवार को मामले में मेंटिबिलिटी (याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं) के बिंदु पर सुनवाई पूरी हो गई थी, जिस पर मंगलवार को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। सोमवार को सुनवाई के दौरान इस बात पर बहस की गई थी कि यह मामला क्रिमिनल रिविजन का है या अपील का। सूचक विवेक बास्की की ओर से अधिवक्ता शुभाशीष रसिक सोरेन एवं अधिवक्ता शोभा लकड़ा ने पैरवी की।
मामले को लेकर सीमा पात्रा के खिलाफ अरगोड़ा थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। रांची की निचली अदालत ने सीमा पात्रा की डिस्चार्ज पिटीशन को खारिज कर दिया था, जिसे उन्होंने हाई कोर्ट में चुनौती दी। प्राथमिकी में नौकरानी सुनीता ने कहा था कि सीमा पात्रा ने उसे कई दिनों तक भूखे-प्यासे कमरे में बंद रखा था। लोहे की रॉड से मारकर उसके दांत तोड़ दिये थे। इतने से भी उनका जी नहीं भरा तो उन्होंने गर्म तवे से शरीर के कई हिस्सों में दागा, जिसके निशान अभी भी हैं।
सुनीता पर हो रहे जुल्म की जानकारी किसी तरह कार्मिक विभाग के अफसर विवेक बास्की को मिली थी। इसके बाद उन्होंने डीसी राहुल कुमार सिन्हा के पास शिकायत दर्ज करायी। पुलिस ने मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में सुनीता को मुक्त कराया था।