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Sunday, April 2, 2023

जिला प्रशासन गुमला की पहल “प्रोजेक्ट आशा”…

बिरसा भूमि लाइव

  • जिला प्रशासन की पहल से जिले में मिर्गी एवं अन्य मस्तिष्क रोगों से ग्रसित मरीजों के लिए लगाया गया निः शुल्क जांच एवं दवा वितरण शिविर
  • रांची के रिम्स अस्पताल के मशहूर मस्तिष्क रोग विशेषज्ञ एवं न्यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष “डॉ सुरेंद्र कुमार” एवं उनकी टीम ने किया मिर्गी मरीजों का निः शुल्क जांच
  • मिर्गी जैसे गंभीर बीमारी के संबंध में सभी सीएचओ एवं अन्य मेडिकल टीम को “डॉ सुरेंद्र कुमार” द्वारा दिया गया प्रशिक्षण

गुमला: उपायुक्त सुशांत गौरव की पहल से जिले के मिर्गी के मरीजों एवं अन्य मानसिक रोगियों के इलाज के लिए एक पहल करते हुए “प्रोजेक्ट आशा” के तहत निःशुल्क जांच शिविर का आयोजन आज रविवार को सुबह 9 बजे से शाम के 5 बजे तक सदर अस्पताल परिसर में किया गया। शिविर में लगभग 500 से अधिक मरीज पहुंचे एवं उन्होंने निः शुल्क अपना जांच करवाया । साथ ही मरीजों को मिर्गी एवं मस्तिस्क से जुड़े रोग से होने वाली समस्याओं से जागरूक किया गया।

शिविर में रांची रिम्स अस्पताल के मशहूर मस्तिष्क रोग विशेषज्ञ एवं न्यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष ” डॉ सुरेंद्र कुमार” एवं उनके टीम के द्वारा सभ मरीजों का निः शुल्क जांच किया गया साथ ही उनके इलाज के लिए मुफ्त में दवा का भी वितरण किया गया।

इस दौरान ” डॉ सुरेंद्र कुमार” के द्वारा जिले के सभी सीएचओ एवं मेडिकल टीम को मिर्गी एवं मस्तिस्क रोग से संबंधित प्रशिक्षण दिया गया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से उपायुक्त गुमला सुशांत गौरव एवं एसडीओ सदर शामिल रहें।

प्रशिक्षण कार्यशाला में शामिल हुए सभी सीएचओ एवं मेडिकल टीम को संबोधित करते हुए डॉक्टर सुरेंद्र ने जानकारी देते हुए बताया कि दुनियाभर में एक हजार में से 10 लोग मिर्गी की चपेट में हैं। समय पर बीमारी की पहचान होने पर इसका इलाज संभव है।डॉक्टरों के मुताबिक फेमिली हिस्ट्री होने या दुर्घटना के कारण दिमाग में चोट लगने के कारण भी यह बीमारी हो सकती है। हालांकि ज्यादतर केसों में इसका कारण पता नहीं लग पाता। मिर्गी एक न्यूरोलॉजिकल रोग है जिसमें दिमाग का कामकाज प्रभावित हो जाता है। इसमें मरीज कभी-कभी चेतना खो सकता है इसके साथ बेहोशी या फिर आंतों या ब्लैडर पर नियंत्रण खत्म हो सकता है।

मिर्गी के दौरों की पुष्टि तब तक नहीं होती, जब तक व्यक्ति को एक या दो से ज्यादा बार दौरा न पड़ जाए। यह बीमारी किसी भी उम्र में किसी को भी हो सकती है। उन्होंने कहा कि मिर्गी को लेकर समाज में कई तरह की गलत धारणाएं भी बनी हुई हैं, जिनका निवारण केवल जागरूकता से ही हो सकता है। उन्होंने कहा कि मिर्गी का इलाज अच्छे डॉक्टर के निगरानी एवं सही दवाइयों के सेवन से इनके दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है। कुछ केसों में मिर्गी का इलाज सर्जरी से भी संभव है।

इस दौरान उपायुक्त ने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा “प्रोजेक्ट आशा” की शुरुआत की गई है जिसके तहत मिर्गी एवं मस्तिस्क से संबंधित बीमारियों का निः शुल्क शिविर के माध्यम से इलाज करवाया जाएगा जिसकी शुरुआत आज से की गई है।भारत में पहली बार मिर्गी के इलाज हेतु इस प्रकार के शिविर का आयोजन जिला प्रशासन द्वारा किया जा रहा है। उपायुक्त ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में जानकारी के अभाव से लोग मिर्गी के दौरे को अंधविश्वास के रूप में लेते हुए झाड़ फूंक करवाते है जिस कारण मरीजों को उचित इलाज नही मिल पाता है। मिर्गी की बीमारी मस्तिस्क से जुड़ी एक बीमारी है जिसका इलाज संभव है। इस प्रकार के शिविर के माध्यम से लोगों को इस बीमारी से बचाने का प्रयास जिला प्रशासन द्वारा किया जा रहा है। साथ ही इस शिविर के माध्यम से लोगों के इलाज से साथ साथ उन्हे इस बीमारी के प्रति जागरूक करना भी है।

शिविर में आए लोगों ने बेहद हर्ष प्रकट करते हुए जिला प्रशासन के टीम को धन्यवाद किया। लोगों के चेहरे पर खुशी के साथ साथ जिला प्रशासन के प्रति विश्वास की एक और कड़ी जुड़ती नजर आई। सुबह 9 से 5 बजे तक लगे इस शिविर में लगभग 500 से अधिक लोगों ने आकर अपना निः शुल्क जांच करवाते हुए मुफ्त में दवा लिया। इस शिविर में डॉक्टर्स के पूरे टीम ने मरीजों की समस्याओं को सुना एवं ऑन द स्पॉट दवा एवं आवश्यक सुझाव दिया । जिला प्रशासन द्वारा इन मरीजों के ठीक होने तक लगातार समय समय पर शिविर लगाया जाएगा।

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