रांची: बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के निदेशालय अनुसंधान अधीन पशु चिकित्सा संकाय में संचालित आईसीएआर – एफएमडी नेटवर्क यूनिट के जनजातीय उपपरियोजना (टीएसपी) के अधीन तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ गुरुवार को हुआ।
कार्यक्रम का उद्घाटन बीएयू के डीन पीजी एवं आईसीएआर – एफएमडी प्रोजेक्ट के परियोजना अन्वेंषक डॉ एमके गुप्ता ने किया। मौके पर किसानों को संबोधित करते हुए डॉ एमके गुप्ता ने झारखंड में सुकर पालन के महत्त्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि प्रदेश के जनजातीय समुदाय की आजीविका एवं पोषण सुरक्षा में उन्नत सुकर पालन प्रौद्योगिकी बेहद उपयोगी साबित हो रही है। बीएयू द्वारा विकसित संकर सुकर नस्ल ‘झारसुक’ और हाल में खोजी गयी दो देशी नस्ल बांड़ा एवं पूर्णिया से किसानों को रोजगार का साधन मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण के उपरांत सभी प्रतिभागियों को एक नर एवं एक मादा सुकर का वितरण किया जायेगा। इससे उन्नत सुकर पालन तकनीकी के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन के साथ-साथ पोषण सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा।
मौके पर बीएयू के आईसीएआर – सुकर पालन प्रोजेक्ट के परियोजना प्रभारी एवं कोर्स कोऑर्डिनेटर डॉ रविन्द्र कुमार ने झारखंड प्रदेश के उपयुक्त प्रमुख सुकर नस्लें और सुकर नस्ल ‘झारसुक’ की विशेषताओं, आहार एवं आवास प्रबंधन के बारे में बताया।
सुकर पालन प्रशिक्षण एवं क्षमता कौशल विकास विषयक इस कार्यक्रम में रांची जिले के नामकुम प्रखंड अधीन रुदुंग कोचा गांव के कुल 26 जनजातीय महिला एवं पुरुष किसान भाग ले रहे है।