बिरसा भूमि लाइव
रांची: सहायक प्राध्यापक (अनुबंध) संघ रांची विश्वबिद्यालय रांची के अध्यक्ष डॉ त्रिभुवन साही तथा महासचिव डॉ रामकुमार तिर्की के द्वारा संयुक्त बयान कर जानकारी दी गयी कि सहायक प्राध्यापकों की कोई सुधि लेने वाला नहीं है। हिंदुओं का प्रमुख त्योहार होली में भी कोई मानदेय नहीं मिल पाया। होली के अलावा भी वर्तमान में बच्चों के नए सत्र के प्रवेश के कारण नामांकन सहित अन्य खर्च भी है पर बिल जमा करने के बाद भी अबतक राशि प्राप्त नहीं हुई है। उल्टा रांची विश्वबिद्यालय रांची के रजिस्ट्रार द्वारा दिनांक 05.03.23 स्थानीय अखबार में बयान जारी कर कहा जाता है कि जो बिल जमा किया है उसको भुगतान कर दिया गया।
इस बात का खंडन भी करते हैं। खुद अपने विभाग से ही रजिस्ट्रार रांची विश्वबिद्यालय रांची को पता कर लेना चाहिए कि बिल कब से जमा है। मर्यादित पद में रहते हुए ऐसे बयान देने के पूर्व थोडा पता कर लेना चाहिए। एक ओर जहां कुछ लोग जो पूर्ण सरकारी है उन्हें समय से भुगतान कर दिया गया पर हम सब सहायक प्राध्यापक (अनुबंध) को छोड़ दिया गया। हम सभी झारखंड के विभिन्न विश्वविद्यालयों तथा महाविद्यालयों में उच्च तकनीकी शिक्षा विभाग झारखंड सरकार के संकल्प संख्या- 04/वि०1-135/2016-516 दिनांक 02/03/2017 के आलोक में स्वीकृत पदों पर कार्यरत घंटी आधारित सहायक शिक्षकों के रूप में नियुक्त हैं।
शैक्षणिक के साथ साथ गैर शैक्षणिक कार्यों में भी अपनी सेवा दे रहे हैं। पर रांची विश्वबिद्यालय रांची में बिल जमा करने के वावजूद कभी भी समयानुसार मानदेय नहीं मिल पाता, सरकार से भी कई बार मांग रख चुकें हैं कि अनुबंध सहायक प्राध्यापकों को यूजीसी द्वारा निर्धारित न्यूनतम मूल वेतन तथा लागू महंगाई भत्ता जबतक सरकार द्वारा निर्धारित नहीं हो जाता तबतक के लिए सीनेट की बैठक में सहायक प्राध्यापक को मासिक बेतन देने हेतु प्रस्ताव पारित कर सरकार के पास भेजने की कृपा की जाय, क्योंकि यूजीसी रेगुलेशन के अनुसार निर्धारित न्यूनतम मूल वेतन तथा लागू महंगाई भत्ता नहीं मिलने के कारण हमें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है l अभी ग्रीष्मावकाश होगा जिसमें प्रतिकक्षा राशि निर्धारित होने के कारण हमें कोई राशि नहीं मिलेगी,जबकि कुछ लोगों के लिए मौज है।