हमारी दैनिक थाली का अहम हिस्सा रहा चावल अब सिर्फ स्वाद और भूख मिटाने का माध्यम नहीं रहा—स्वास्थ्य शोध के अनुसार इसे ठंडा-करने और फिर फिर से गरम करने से इसके पोषण-प्रोफाइल में बदलाव आ सकता है। विश्लेषकों के मुताबिक इस प्रक्रिया से चावल में मौजूद स्टार्च का एक हिस्सा “रिजिस्टेंट स्टार्च” में बदल जाता है, जिसे हमारा पाचन-तंत्र तेजी से ऊर्जा में नहीं बदल पाता।
शोध में पाया गया कि यदि पके हुए चावल को 24 घंटे के लिए लगभग 4 डिग्री सेल्सियस पर रखा जाए और फिर गरम किया जाए, तो उसमें रिजिस्टेंट स्टार्च की मात्रा बढ़ जाती है। इस तरह का चावल खाने के बाद रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) बढ़ने की दर (ग्लाइसेमिक रेस्पॉन्स) कम पाई गई।
रिजिस्टेंट स्टार्च का महत्व इसलिए है क्योंकि यह फाइबर के समान व्यवहार करता है—यह पाचन तंत्र से धीमे-धीमे टूटता है, जिससे खाने के बाद अचानक चीनी छलांग लगाने की संभावना कम होती है, और आंत में लाभदायक बैक्टीरिया को बढ़ावा मिलता है।
हालाँकि, इस तरीके को अपनाते समय कुछ सावधानियाँ ज़रूरी हैं:
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चावल को पकाने के बाद जल्दी ठंडा करना और सुरक्षित तापमान पर रखना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि चावल में कुछ ऐसे बैक्टीरिया होते हैं जो पकाने के बाद भी बढ़ सकते हैं।
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ठंडा-किया गया चावल फिर गरम किया जाए तो भी यह लाभ दे सकता है, लेकिन जरूरत से ज़्यादा देर रखकर या गलत तरीके से गर्म करने पर स्वास्थ्य-जोखिम बढ़ सकते हैं।
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यह तरीका “चावल विरोधी” उपाय नहीं है, बल्कि चावल-खाने का तरीका बदलने के संदर्भ में उपयोगी माना जा रहा है—पूरा भोजन पैटर्न वैसा ही रहता है लेकिन इसे थोडा और समझदारी से तैयार किया गया है।
सार यह कि यदि आप चावल-प्रेमी हैं और स्वास्थ्य-विषयक सजगता रखना चाहते हैं, तो अगली बार चावल पकाने के बाद उसे तुरंत नहीं खाएं, बल्कि ठंडा करके रखें और बाद में गरम कर के खाएँ। इसका असर हफ्ते-भर-दिन तक नहीं बल्कि निरंतर भोजन-अभ्यास में दिख सकता है।


