बिरसा भूमि लाइव
- राइस मिल्स, फ्लाॅवर मिल्स सहित अन्य खाद्य संबंधित मैनुफैक्चरिंग प्लांट में भी सेल बंद
- कृषि शुल्क के विषय में केंद्र का हवाला देते हुए भ्रामक स्थिति उत्पन्न की जा रही: चैंबर
रांची: झारखण्ड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2022 के विरोध में बुधवार को प्रदेश में खाद्य वस्तुओं की आवक-जावक एवं कृषि संबंधी थोक व्यवसाय की दुकानें पूरी तरह बंद रहीं। झारखण्ड चैंबर ऑफ काॅमर्स के आहवान पर राइस मिल्स, फ्लाॅवर मिल्स सहित अन्य खाद्य संबंधित मैनुफैक्चरिंग प्लांट में भी सेल बंद रहा। शुल्क के विरोध में जारी इस आंदोलन में फल एवं सब्जी के थोक विक्रेताओं का भी भरपूर समर्थन प्राप्त हुआ और दुकानें बंद रहीं। आलू प्याज थोक विक्रेता संघ, रांची की देखरेख में पूरे झारखण्ड में आलू-प्याज की थोक मंडियां भी बंद रहीं। झारखण्ड चैंबर ऑफ काॅमर्स और रांची चैंबर पंडरा के पदाधिकारियों ने दिन के समय अपर बाजार और कृषि मंडी पंडरा का दौरा कर बंद का जायजा लिया। शाम को झारखण्ड चैंबर द्वारा पूरे राज्य में की गई बंद की समीक्षा के लिए सभी जिला चेंबर, खाद्यान्न व्यवसायी संघ और फूड प्रोसेसिंग संचालकों के साथ ऑनलाइन समीक्षात्मक बैठक कर, आगे की रणनीतियों पर वार्ता की गई।
ईधर, शुल्क को लेकर कृषि मंत्री के द्वारा दिये गये बयान का खंडन करते हुए चैंबर अध्यक्ष किशोर मंत्री ने कहा कि कृषि राज्य का विषय है। कृषि मंत्री द्वारा जिस टैक्स की बात कही जा रही है। यह पूर्णतः राज्य सरकार के अधीन है। इस टैक्स को लगाने के लिए केंद्र सरकार की बाध्यता की कृषि मंत्री के ब्यान को फेडरेशन चैंबर सिरे से खारिज करता है। शुल्क को शून्य रखने का प्रावधान इस विधेयक में है किंतु इस ब्यान में कृषि मंत्री तथ्यों को छुपा रहे हैं। हमने भी केंद्र के नियमों का अध्ययन किया है जहां स्पष्ट है कि केंद्र सरकार द्वारा टैक्स लगाने की कोई बाध्यता नहीं है। कुछ अधिकारियों के कहने से इस शुल्क को लेकर कृषि मंत्री द्वारा केंद्र सरकार के प्रति ही नहीं बल्कि राज्य सरकार के प्रति भी भ्रामक स्थिति उत्पन्न की जा रही है जो राज्यहित में नहीं है। ऐसा कानून जो राज्यहित में नहीं है, हम उसे किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं करेंगे।
व्यवसाय बंद रहने से सरकार को भी करोड़ों रुपए राजस्व की हानि : संजय महुरी : रांची चैंबर पंडरा के अध्यक्ष संजय माहुरी ने कहा कि खाद्यान्न व्यापारियों की एकजुटता से केवल एक दिन का व्यवसाय बंद रहने से सरकार को भी करोड़ों रू0 राजस्व की हानि हुई है। सरकार से आग्रह है कि सरकार व्यापारियों की मनःस्थिति को समझे और अविलंब कृषि शुल्क संबंधित विधेयक को वापस ले। रांची से बाहर के जिलों में भी खाद्यान्न व्यापार पूरी तरह बंद रहा। खूंटी मुख्यालय के अलावा विभिन्न प्रखंड जैसे मुरहू, तोरपा, तपकरा, गोविंदपुर में गल्ला किराना के सभी छोटे बडे दुकानदारों ने इस बिल के विरोध में अपना प्रतिष्ठान बंद रखा। यही स्थिति दुमका, चाईबासा, सिमडेगा, गुमला, लोहरदगा, जमशेदपुर, हजारीबाग, रामगढ, चतरा, बोकारो, धनबाद, कोडरमा, गिरिडीह, दुमका, देवघर, गोड्डा, साहेबगंज, पाकुड, जामताडा, पलामू, गढ़वा, लातेहार में भी कृषि संबंधी थोक व्यवसाय की दुकानें बंद रहीं। कृषि मंत्री द्वारा इस विधेयक को वापस नहीं लिये जाने तक यह राज्यव्यापी आंदोलन आगे भी जारी रहेगा।
राजधानी रांची में बंद को व्यापक रूप से सफल बनाने में चैंबर अध्यक्ष किशोर मंत्री, उपाध्यक्ष आदित्य मल्होत्रा, अमित शर्मा, महासचिव डाॅ अभिषेक रामाधीन, सह सचिव रोहित पोद्दार, शैलेष अग्रवाल, कोषाध्यक्ष सुनिल केडिया, कार्यकारिणी सदस्य राम बांगड, रांची चेंबर के अध्यक्ष संजय माहुरी, अनिल शर्मा, दीपक पोद्दार, आलू-प्याज संघ के अध्यक्ष मदन साहू, रोहित कुमार, पूर्व अध्यक्ष प्रवीण जैन छाबडा के अलावा सैकडों खाद्यान्न व्यवसायी शामिल थे।