बिरसा भूमि लाइव
रांची: कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह एवं निदेशक अनुसंधान डॉ पीके सिंह के निर्देश पर स्वतंत्रता सेनानी वीर बुधु भगत की जन्मस्थली सिमलिया गांव में एकदिवसीय कृषक–वैज्ञानिक मिलन कार्यक्रम का आयोजन हुआ। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के निदेशालय अनुसंधान के अधीन उद्यान विभाग में संचालित आईसीएआर–साला परियोजना के अधीन आयोजित इस कार्यक्रम में सिमलिया गांव के करीब 50 पुरुष एवं महिला जनजातीय किसानों ने भाग लिया।
मौके पर परियोजना अन्वेंषक (मसाला) डॉ अरुण तिवारी ने किसानों को वर्त्तमान खरीफ सीजन में मौसम कि बेरुखी को देखते हुए वैकल्पिक फसल के रूप में मसाला फसलों में हल्दी एवं अदरख की खेती अपनाने की सलाह दी। किसानों को हल्दी एवं अदरख की उन्नत खेती तकनीक एवं मूल्यवर्धन से अधिक लाभ लेने की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि दोनों फसलों को पशुओं से नुकसान कि संभावना काफी कम होती है। इसे छाया एवं बगीचे की छाया में आसानी से उगाकर बढ़िया लाभ कमाया जा सकता है।
कार्यक्रम के दौरान किसानों ने बारिश कम होने से धान रोपाई में विलम्ब तथा खरीफ फसलों में कीट एवं रोग की समस्या के बारे में बताया। डॉ तिवारी ने किसानों को खेतों में लगे खरीफ फसलों का उचित खर-पतवार निकासी करने तथा प्रमुख कीट एवं रोग से बचाव की जानकारी दी। किसानों को धान के बिचड़े का संरक्षण करने के तरीके तथा निचली भूमि के खेतों में अगस्त माह के दुसरे सप्ताह तक धान की रोपाई करने की सलाह दी।
मौके पर किसानों में किशुन उराव, गौरी उराव, सरिता उराव, सुमित्रा उराव, मीणा तिर्की, शीला तिर्की, परनो उराव, सत्यवंती देवी, शकुंतला देवी, आशा उराव, मालती देवी, सुकरी उराव आदि तथा बीएयू से प्रमोद कुमार साहू, मनोज कुमार एवं फुलेश्वर कुमार भी मौजूद थे।