बिरसा भूमि लाइव
रांची: बीएयू के पशु चिकित्सा संकाय (पशु प्रसार शिक्षा विभाग) द्वारा कृत्रिम गर्भाधान प्रौद्योगिकी विषय पर आयोजित 30 दिवसीय आठवीं मैत्री प्रशिक्षण कार्यक्रम शुक्रवार को संपन्न हुआ। कार्यक्रम में रांची, बोकारो, गिरिडीह, गोड्डा, हजारीबाग, खूंटी, लोहरदगा, और पश्चिमी सिंहभूम जिला के कुल 27 प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया।
समापन के मौके पर डीन वेटनरी डॉ सुशील प्रसाद ने सभी प्रशिक्षाणार्थियों सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूरा करने का प्रमाण-पत्र प्रदान किया। अपने संबोधन में कहा कि दुधारू पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान विषयक एक महीने का यह सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक प्रशिक्षण कार्यक्रम राज्य में दुग्ध विकास को बढ़ावा देने में बेहद उपयोगी साबित होगी। कृत्रिम गर्भाधान एवं प्रशिक्षण के महत्ता पर प्रकाश डाला और कहा कि ग्रामीण स्तर पर कम खर्च पर कृत्रिम गर्भाधान सेवा द्वारा दुधारु पशु नस्ल सुधार को आगे बढ़ाना ही आप सबों का मुख्य ध्येय होगा। इससे प्रदेश में गव्य विकास कार्यक्रम को आगे बढ़ाना सुगम हो सकेगा।
झारखण्ड स्टेट इम्प्लीमेंटिंग एजेंसी (जेएसआईए), होटवार के मुख्य अनुदेशक डॉ केके तिवारी ने सभी प्रशिक्षणार्थियों से विस्तार में संवाद किया। बताया कि प्रशिक्षण उपरांत जिले के कृत्रिम गर्भाधान केन्द्रों में स्थानीय पशु चिकित्सकों के मार्गदर्शन में 60 दिवसीय फील्ड ट्रेनिंग दी जायेगी। प्रशिक्षाणार्थियों की कार्य दक्षता एवं उपलब्धियों पर ही उनका मानदेय और आमदनी निर्भर होगी।
प्रशिक्षण प्रभारी डॉ एके पाण्डेय ने बताया कि वर्ष 2022 – 23 में कुल 8 प्रशिक्षण कार्यक्रमों द्वारा 300 प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण दिया गया है। प्रशिक्षण के दौरान कृत्रिम गर्भाधान, नस्ल सुधार, टीकाकरण, पशु आहार, राशन बैलेंसिंग, पशु स्वास्थ्य और आवास आदि के बारे में विस्तृत सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक जानकारी दी गई। प्रशिक्षण पूर्ण होने के बाद कृत्रिम गर्भाधान के लिए आवश्यक सभी उपकरण सरकार द्वारा उपलब्ध कराए जाएंगे।
यह कार्यक्रम केन्द्रीय राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना के अधीन झारखण्ड स्टेट इम्प्लीमेंटिंग एजेंसी (जेएसआईए) – कैटल एंड बुफैलो डेवलपमेंट यूनिट, होटवार, रांची के सौजन्य से आयोजित किया गया। समापन अवसर पर डॉ पंकज कुमार एवं डॉ।अमित कुमार झा भी मौजूद थे।