बिरसा भूमि लाइव
रांची : बहुराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर की कंपनियों द्वारा उत्पादों के भ्रामक विज्ञापन प्रचारित करने तथा इस पर कार्रवाई होने से डिस्ट्रीब्यूटर्स को अनावश्यक कठिनाईयों का सामना करना पडता है। हाल में ही माननीय न्यायालय द्वारा एक बड़ी एफएमसीजी कंपनी पर इस मामले में संज्ञान लिया गया है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों को ऐसे भ्रामक विज्ञापन से परहेज करना चाहिए क्योंकि यदि विज्ञापन के अनुरूप उत्पाद नहीं होता तब इसका सीधा प्रभाव डिस्ट्रीब्यूटर और छोटे रिटेलर पर पड़ता है। उक्त बातें झारखण्ड कंज्यूमर प्रोडक्ट डिस्ट्रीब्यूटर्स एसोसियेशन के अध्यक्ष संजय अखौरी ने कहते हुए बताया कि सरकार को भी इसपर कड़ी निगरानी रखने की आवश्यकता है।
जेसिपीड़ीए के अध्यक्ष ने यह भी कहा कि आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति श्रृंखला में डिस्ट्रीब्यूटर्स/वितरक ही वह कडी है जहां से ग्राहकों का सीधा संबंध होता है। वे उनसे रोजाना मिलते हैं। उत्पादों के भ्रामक विज्ञापन से होनेवाली कठिनाई के कारण डिस्ट्रीब्यूटर्स को ग्राहकों का जवाब देना पडता है। ऐसे में बडी कंपनियों को भ्रमित करनेवाले विज्ञापनों से बचना चाहिए।
जेसीपीडीए ने कहा कि भ्रामक विज्ञापन से उपभोक्ताओं का नुकसान होता है। ई-कॉमर्स कंपनियों की वेबसाइट पर ऐसे भ्रामकता की भरमार है, जिसपर सरकार को संज्ञान लेना चाहिए। स्थानीय दुकान से कम कीमत पर उत्पाद की उपलब्धता का प्रदर्शन कर लोगों को लुभाया जाता है। अच्छी वस्तुएं दिखाकर, खराब वस्तुओं की डिलीवरी की जाती है। उपभोक्ता से जुडी अधिकांश षिकायतें ई-कॉमर्स कंपनियों की इन्हीं मनमानी के कारण ही हैं। जबकि स्थानीय दुकानादारों के लिए उपभोक्ता हित सर्वोपरि है। डिस्ट्रीब्यूटर्स या छोटे-छोटे दुकानदार अपने ग्राहकों के प्रति जवाबदेह होते हैं।