नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में इस समय एमसीडी चर्चा में है। सदन में पूरी रात हंगामा हुआ। दिल्लीवालों के मन में शायद यह सवाल कौंध रहा होगा कि जब मेयर का चुनाव हो गया तब सदस्य के इलेक्शन में इतना बवाल क्यों हो गया। अंग्रेजी में स्थायी समिति को स्टैंडिग कमेटी कहते हैं। आखिर दिल्ली एमसीडी की स्टैंडिंग कमेटी कितनी महत्वपूर्ण होती है, जो मेयर चुनाव से भी ज्यादा ड्रामा इसमें देखने को मिला।
आप और भाजपा के पार्षदों ने एक दूसरे पर पानी की बोतलें फेंकीं। सबसे पहले जान लीजिए कि स्थायी समिति के छह सदस्यों का चुनाव होना था। दिन में महापौर और उप-महापौर पद पर आप की शैली ओबेरॉय और आले मोहम्मद ने जीत दर्ज की। शाम को सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो मोबाइल फोन मतदान केंद्र के अंदर ले जाने पर भाजपा पार्षदों ने आपत्ति जताई और फिर रातभर नारेबाजी और शोरगुल का दौर चला।
शैली ओबेरॉय ने कहा कि भाजपा के पार्षदों ने मुझ पर हमले की कोशिश की। ये भाजपा की गुंडागर्दी की इंतेहा है, उन्होंने एक महिला मेयर पर हमले की कोशिश की। सदन में बुधवार देर रात तक हंगामा चलता रहा। दोनों पक्षों के पार्षद सदन में हो सो गए। इसकी तस्वीरें भी सामने आईं।
गुरुवार सुबह नाश्ते के बाद फिर चुनाव की प्रक्रिया शुरू हुई, लेकिन हंगामे के चलते कार्रवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी गई। अब स्टैंडिंग कमेटी के 6 सदस्यों का चुनाव शुक्रवार सुबह 10 बजे से शुरू होगी। बुधवार दोपहर से गुरुवार सुबह तक सदन की कार्यवाही 6 बार स्थगित की गई। भाजपा ने आप पर वोट की गोपनीयता भंग करने का आरोप लगाया है।
वास्तव में दिल्ली एमसीडी में स्टैंडिंग कमेटी ही सच मायने में प्रभावी तरीके से कॉर्पोरेशन का कामकाज और प्रबंधन करती है। जैसे, यही स्थायी समिति प्रोजेक्ट्स को वित्तीय मंजूरी देती है। नीतियों को लागू करने से पहले चर्चा, उसे अंतिम रूप देने में भी स्थायी समिति का महत्वपूर्ण रोल होता है। यूं समझिए कि एमसीडी की यह मुख्य डिसीजन-मेकिंग बॉडी यानी फैसला लेने वाला समूह होता है। इसमें 18 सदस्य होते हैं।