बिरसा भूमि लाइव
रांची: निदेशालय अनुसंधान, बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के अधीन पशु चिकित्सा संकाय में कार्यरत आईसीएआर – एफएमडी नेटवर्क यूनिट के जनजातीय उपपरियोजना (टीएसपी) के अधीन संचालित सुकर पालन की उन्नत तकनीकी विषय पर आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन शनिवार को संपन्न हुआ।
मौके पर बतौर मुख्य अतिथि डीन वेटनरी डॉ सुशील प्रसाद में प्रशिक्षाणार्थियों को बताया कि कम खर्च में सस्ता संतुलित एवं पौष्टिक आहार सूकरों को उपलब्ध कराकर सुकरपालन व्यवसाय से अधिक से अधिक लाभ कमाया जा सकता है। उन्होंने प्रशिक्षाणार्थियों को बीएयू द्वारा विकसित संकर सुकर नस्ल ‘झारसुक’ को अपनाकर अधिकतम लाभ अर्जित करने की सलाह दी। साथ ही सुकरपालन में स्वस्थ्य प्रबंधन, वातावरण, आवास, पोषण, रख-रखाव पर विशेष ध्यान रखने पर जोर दिया।
मौके पर बीएयू डीन पीजी एवं आईसीएआर – एफएमडी परियोजना अन्वेंषक डॉ एमके गुप्ता ने बताया कि प्रशिक्षाणार्थियों को जल्द ही उनके गाँव में एक नर एवं एक मादा सुकर का वितरण किया जायेगा। प्रतिभागी अपने पुरे गाँव में विभिन्न पशुओं की संख्या की जानकारी उपलब्ध करायें। ताकि एफएमडी परियोजना के अधीन विभिन्न पशुओं जैसे गाय, भेंस, भेड़, बकरी, सुकर एवं मुर्गी आदि में होने वाले विषाणु जनित रोगों के अग्रिम उपचार अधीन टीकाकरण अभियान कार्यक्रम चलाया जा सके।
मौके पर प्रशिक्षाणार्थियों ने तीन दिवसीय प्रशिक्षण के अनुभव को साझा किया। प्रशिक्षण दौरान सुकर फार्म में ‘झारसुक’ नस्ल की वैज्ञानिक तकनीक से सुकरपालन को ग्रामीणों के लिए उपयोगी बताया। प्रतिभागियों ने बताया कि गाँव के लोग पशुपालन के उन्नत तकनीक से अनजान है। प्रशिक्षण उन्हें काफी जानकारी मिली है। जिसका लाभ सभी अवश्य लेंगे।
इस अवसर पर डीन वेटनरी ने सभी प्रशिक्षाणार्थियों को प्रमाण-पत्र प्रदान किया। समारोह का संचालन एवं धन्यवाद कोर्स कोऑर्डिनेटर डॉ रविन्द्र कुमार ने दी। इस कार्यक्रम में रांची जिले के नामकुम प्रखंड अधीन रुदुंग कोचा गाँव के कुल 26 जनजातीय महिला एवं पुरुष किसानों ने भाग लिया।
केवीके वैज्ञानिकों का प्रौद्योगिकी अभिसरण पर प्रशिक्षण का समापन : रांची I निदेशालय प्रसार शिक्षा, बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) द्वारा किसानों की आय में बढ़ोतरी के लिए संस्था, हस्तक्षेप और प्रौद्योगिकी अभिसरण विषय पर आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन हुआ। बीएयू कृषक भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केन्द्रों (केवीके) एवं बीएयू अधीनस्थ विभिन्न महाविद्यालयों के कुल 45 वैज्ञानिकों ने भाग लिया।
मौके पर डायरेक्टर सीड एंड फार्म डॉ एस कर्माकार ने किसानों की आय बढ़ाने में स्थानीय उपयुक्त एवं आय वृद्धि में उपयोगी तकनीक के अभिसरण को प्राथमिकता देने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सभी केवीके, अभिसरण कार्यक्रम में एक या दो मॉडल को चिन्हित कर उन्हें जिला में विभिन्न संस्था के सहयोग से बढ़ावा दे। इस अभियान में लघु एवं सीमांत किसानों के लिए उपयोगी समेकित कृषि प्रणाली को अभिसरण कार्यक्रम में शामिल किया जा सकता है।
मौके पर निदेशक प्रसार शिक्षा एवं कोर्स कोऑर्डिनेटर डॉ जगरनाथ उराँव ने कहा कि अभिसरण कार्यक्रम में स्थानीय कृषि एवं संबद्ध विभाग, आईसीएआर संस्थान एवं स्वयं सेवी संस्थान (एनजीओ) की सहभागिता सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। जिला स्तर पर कृषि विकास में तकनीकी मार्गदर्शन के लिए सभी केवीके को तत्पर रहने की आवश्यकता है। मौके पर अपर निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ केएस रिसम ने भी अपने विचारों को रखा।
इस अवसर पर केवीके वैज्ञानिकों ने निदेशालय द्वारा अद्यतन एवं अभिनव कृषि तकनीकी पर निरंतर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजन की आवश्यकता जताई। जिला कृषि विकास की रफ़्तार देने में प्रशिक्षण के विषय को बेहद उपयोगी बताया।
मौके पर डायरेक्टर सीड एंड फार्म एवं डायरेक्टर एक्सटेंशन एजुकेशन ने संयुक्त रूप से सभी प्रशिक्षाणार्थियों को प्रमाण-पत्र प्रदान किया। स्वागत भाषण एवं संचालन केवीके, चतरा के प्रभारी डॉ रंजय कुमार सिंह ने किया।